जस्टिस खन्ना ने कहा कि मेरे दिमाग में कुछ आया। लोगों को (कुत्तों का) ख्याल रखना चाहिए, लेकिन उन्हें चिह्नित किया जाना चाहिए। चिप के माध्यम से ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए। मैं इसके पक्ष में नहीं हूं।
सुप्रीम कोर्ट ने लोगों की सुरक्षा और पशुओं के अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखने की बात कही है। अदालत ने सुझाव दिया कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाने वाले लोगों को उनका टीकाकरण कराने के लिए जिम्मेदार बनाया जा सकता है। साथ ही अगर जानवर किसी पर हमला करे तो उसका खर्च भी वहन करना होगा।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस जे के माहेश्वरी की बेंट ने आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के मुद्दे पर शुक्रवार को सुनवाई की। पीठ ने कहा कि इस मसले का कोई समाधान निकालना होगा। मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि हममें से ज्यादातर कुत्ता प्रेमी हैं। मैं भी कुत्तों को खाना खिलाता हूं।
‘चिप से नहीं किया जाना चाहिए ट्रैक’
न्यायमूर्ति खन्ना ने आगे कहा कि मेरे दिमाग में कुछ आया। लोगों को (कुत्तों का) ख्याल रखना चाहिए, लेकिन उन्हें चिह्नित किया जाना चाहिए, चिप के माध्यम से ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए, मैं इसके पक्ष में नहीं हूं। उन्होंने ने कहा कि आवारा कुत्तों के मुद्दे को हल करने के लिए एक तर्कसंगत समाधान खोजा जाना चाहिए।
28 सितंबर होगी अगली सुनवाई
एससी ने दोनों पक्षों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही इस मामले पर अगली सुनवाई 28 सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी। आवारा कुत्तों को मारने पर विभिन्न नगर निकायों की ओर से पारित आदेशों को लेकर कई याचिकाएं दाखिल हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट में इन्हीं पर सुनवाई चल रही है। आवार कुत्ते विशेष रूप से केरल और मुंबई में खतरा बन गए हैं।
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