रायपुर, 3 सितंबर। छत्तीसगढ़ के वनों में संग्रहित की जाने वाली इमली ने बस्तर के वनवासियों को बड़ा आर्थिक संबल प्रदान किया है। विषम परिस्थितियों के बावजूद पिछले साल की तुलना में इस साल इमली का अधिक संग्रहण हुआ है। इससे संग्राहकों को 50.7 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय प्राप्त हुई है।
वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में वर्ष 2020 तथा 2021 में कोविड संकट एवं लाकडाउन के बावजूद महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से शासन द्वारा ग्रामीणों, विशेषकर आदिवासियों को अतिरिक्त आय प्रदान करने हेतु इमली संग्रहण एवं प्रसंस्करण का कार्य सतत् रूप से किया गया। साथ ही उक्त कार्य में दुगनी वृद्धि हुई है। संग्राहकों को इमली संग्रहण के साथ-साथ उसके प्रसंस्करण से भी अतिरिक्त राशि प्राप्त हुई है। राज्य में संग्रहण वर्ष 2020 में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा संग्राहकों से 67,552 क्विंटल इमली की खरीद की गई थी, जिसका मूल्य 20.99 करोड़ रुपये था। जबकि संग्रहण वर्ष 2021 में 71.6 करोड़ रुपये मूल्य की एक लाख 92 हजार 582 क्विंटल इमली की खरीद की गई है। इस तरह संग्रहण वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में संग्राहकों को 50.7 करोड़ की अतिरिक्त आय हुई है।
कोविड संकट के समय प्रसंस्करण समेत विविध गतिविधियों के माध्यम से भी संग्राहकों की अजीविका में वृद्धि हुई है। खरीद कार्य में वर्ष 2020 में जिला यूनियन जगदलपुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, द. कोण्डागांव एवं केशकाल द्वारा अच्छा प्रदर्शन किया गया था। वर्ष 2021 में जगदलपुर, द.कोण्डागांव, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, सुकमा एवं केशकाल द्वारा अच्छा प्रदर्शन किया गया है। राज्य में लगभग 5.00 लाख क्विंटल इमली का उत्पादन प्रति वर्ष होता है। इमली की पैदावार मुख्यत: बस्तर क्षेत्र में होती है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत इमली की खरीद महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से की जा रही है। कोविड-19 संकट के दौरान लाॅकडाउन के बावजूद संघ द्वारा इमली खरीद का कार्य किया गया। संग्रहण वर्ष 2020 में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत आटी इमली हेतु निर्धारित क्रय दर राशि रुपये एक प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर रुपये 6 प्रति किलोग्राम की गई।
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