केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को कहा कि सावरकर की तस्वीर को पृष्ठभूमि के रूप में लगाया गया था। जोशी ने कहा, “आयोजकों का मानना है कि सावरकर एक महान देशभक्त हैं इसलिए उन्होंने इसे रखा है।”
कर्नाटक के हुबली के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह के दौरान मंच पर लगे वीर सावरकर और बाल गंगाधर तिलक के पोस्टर को बुधवार की रात अधिकारियों ने हटा दिए। आपको बता दें कि सावरकर की तस्वीर मूर्ति के बगल में रखी गई थी और उनकी तस्वीर के साथ एक बैनर भी लगाया गया था। अधिकारियों का कहना है कि बैनर को हटा दिया गया है, क्योंकि यह आयोजन के लिए तय मानदंडों का उल्लंघन करता है।
हालांकि, ईदगाह मैदान में रानी चेन्नम्मा मैदान गजानन उत्सव महामंडल कार्यक्रम के मुख्य द्वार के बाहर वीर सावरकर की तस्वीर वाला एक बैनर टंगा हुआ। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को कहा कि सावरकर की तस्वीर को पृष्ठभूमि के रूप में लगाया गया था। जोशी ने कहा, “आयोजकों का मानना है कि सावरकर एक महान देशभक्त हैं इसलिए उन्होंने इसे रखा है। इसमें गलत क्या है।”
वह ईदगाह मैदान गणेश समारोह में महाआरती में शामिल होने के बाद मीडियाकर्मियों से बात कर रहे थे। कड़ी सुरक्षा और भारी पुलिस बल के बीच समारोह का आयोजन किया गया है। इससे पहले मंगलवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हुबली के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह के अयोजन की अनुमति दी थी। अंजुमन-ए-इस्लाम द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए आदेश में कहा गया कि जमीन हुबली-धारवाड़ नगर आयोग की संपत्ति है और वे जिसे चाहें जमीन आवंटित कर सकते हैं।”
आपको बता दें कि पहली बार इस मैदान में हिंदू त्योहार का आयोजन किया जा रहा है। हुबली में ईदगाह मैदान दशकों से 2010 तक एक विवाद में फंस गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यह जमीन हुबली-धारवाड़ नगर निगम की संपत्ति है।
1921 में इस्लामिक संगठन अंजुमन-ए-इस्लाम को नमाज अदा करने के लिए 999 साल के लिए जमीन पट्टे पर दी गई थी। आजादी के बाद परिसर में कई दुकानें खोली गईं। इसे अदालत में चुनौती दी गई और एक लंबी मुकदमेबाजी की प्रक्रिया शुरू हुई। 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने अपनै फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने साल में दो बार नमाज की अनुमति दी और जमीन पर कोई स्थायी ढांचा नहीं बनाने का आदेश भी दिया था।
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