रायपुर । रक्षाबंधन के पावन अवसर पर सन्मति नगर फाफाडीह में आचार्यश्री विशुद्ध सागर महाराज ने धर्मसभा में कहा कि श्रावण पर्व वास्तव में श्रमणों का पर्व है। यह श्रमणों की रक्षा का पर्व है। रिद्धि धारी महामुनि विष्णु कुमार ने विशाल उपसर्ग का निवारण कर 700 मुनियों की जीवन रक्षा की थी। आज तीर्थंकर भगवान श्रेयांसनाथ स्वामी का मोक्ष कल्याणक का दिन है। आज के दिन संकल्प करो कि जीवन में हर घड़ी हर पल जिन शासन की रक्षा करेंगे।
आचार्यश्री ने कहा कि रक्षा का पर्व रक्षाबंधन वात्सल्य का पर्व है। आज के दिन विश्व मैत्री,विश्व वात्सल्य का सूत्र जन जन तक पहुंचाओ। आज मुनिराजों के पीछी में सिर्फ राखी बांधने से कुछ नहीं होगा,अपने दिल में राखी बांधना कि गुरुओं के जीवन में कभी उपसर्ग न आए,आप जहां होंगे वही उनकी रक्षा-सेवा करेंगे। आज उपस्थित सभी श्रावक-श्राविकाएं एक दूसरे को राखी बांधे। केवल बहन ही भाई को रक्षा सूत्र राखी बांधेगी ऐसा नहीं है, पति पत्नी को,पत्नी पति को राखी बांधे। वचन लें कि आप मेरे धर्म की रक्षा करना,मेरे सुख दुख में साथ देना,जब मेरे जीवन में कष्ट के दिन आए तो मेरी रक्षा करना। धर्मसभा में पति-पत्नी,श्रावक-श्राविका ने एक दूसरे को राखी बांधकर आचार्यश्री के संदेश का पालन किया।
आचार्यश्री ने कहा कि रक्षाबंधन का पर्व धर्म और धर्मायतनों की रक्षा का पर्व है। भाई और बहन के वात्सल्य का दिवस है, आपस में साधर्मी बंधुओं के वात्सल्य का दिवस है। आज के दिन आप सभी को सामुहिक रूप से संकल्प लेना है कि “हम धर्म और धर्मायतनों की रक्षा करेंगे” यदि हमारा साधर्मी भाई कष्ट में है,तो उनको हम सभी मिलकर सहयोग करेंगे, समाज का कोई गरीब विधार्थी धन के अभाव में पढ़ाई नहीं कर पा रहा है,तो उसे धन से सहयोग करेंगे।
आचार्यश्री ने कहा कि सच्चा धर्मात्मा उल्लू और चमगादड़ नहीं होता जो सूर्य के उदित होने पर कोने में छिप जाता है। सच्चा धर्मात्मा सूर्यमुखी फूल के समान होता है,जब सूर्य उदित होता है तो सूर्यमुखी का फूल उसी और मुड़ जाता है जिस ओर सूर्य होता है। सभी सूर्यमुखी को देखकर अपने चित को निहार लिया करो,जैसे सूर्य के उदित होने पर सूर्यमुखी उसी ओर घूमता है जिस और सूर्य घूमता है ऐसे ही सम्यक दृष्टि सच्चे धर्मात्मा वही होते हैं जहां गुरु होते हैं श्रावक स्वयं घूमना प्रारंभ कर देते हैं। जैसे उल्लू- चमगादड़ जैसे सूर्य उदित होते ही कोने में छुप जाते हैं, ऐसे जो देव,शास्त्र ,गुरु को देखते ही घर में भागने लग जाए,कोने में छिपने लग जाए वे भविष्य के बनने वाले उल्लू और चमगादड़ हैं। भावी पर्याय का ध्यान रखो,धर्म और धर्मात्मा को देखकर छुपना मत सीखो उनके सामने श्रद्धा से झुकना सीखो भव सुधर जाएगा।
आचार्यश्री ने कहा कि जिसके घर सब धर्मात्मा है वे पूर्व के पुण्यात्मा जीव हैं। भविष्य के देवता है और भूत के तपस्वी हैं। आपको दूसरों की पहचान होना चाहिए, जो ऊपर से मुस्कुराए और भीतर से रोए वह मूर्ख है। जो ऊपर मुस्कुराए और भीतर रोष दोष में डूब जाए वह दुष्ट है। व्यक्ति की पहचान उसके लक्षणों से हो जाती है। व्यक्ति कैसे आप से बात कर रहा है,उसकी बात की शैली से पता चल जाएगा कि उसके भीतर क्या है। चाल-चलन को देखकर चरित्र का बोध करना सीखो।
विशुद्ध देशना मंडप में धूमधाम से मनाया गया रक्षाबंधन का पर्व
विशुद्ध वर्षा योग समिति के अध्यक्ष प्रदीप पाटनी व महामंत्री राकेश बाकलीवाल ने बताया कि आज विशुद्ध देशना मंडप में रक्षाबंधन का पर्व धूमधाम से मनाया गया आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन व आचार्यश्री की पीछी में स्वर्ण रक्षा सूत्र बांधने का सौभाग्य राजकुमार, राहुल कुमार गंगवाल परिवार को एवं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य रिखबचंद,जितेंद्र कुमार गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ। इसी तरह मुनि महाराजों की पीछी में रजत रक्षा सूत्र बांधने का सौभाग्य-मुनि सुव्रतसागर को रिखबचंद जितेंद्र कुमार गंगवाल,मुनि अनुत्तर सागर को राजकुमार राहुल गंगवाल,मुनि आराध्य सागर को धरमचंद मनीष आलोक बाकलीवाल,
मुनि प्रणय सागर को खुशबू अक्षय छाबड़ा बलोदाबाजार, मुनि प्रणीत सागर को सतीश नरेश पाटनी,मुनि प्रणव सागर को नेमीचंद हेमलता गोधा, मुनि प्रणुत सागर की को अभय, चिनार पहाड़िया,मुनि सर्वार्थ सागर को शिवकुमार रवि राशि सेठी, मुनि साम्य सागर को कन्हैयालाल दीपक कुमार, मुनि सारस्वत सागर को सनत सुमित गंगवाल,मुनि संजयंत सागर को सुधा सुभाष सेठी खंडवा, मुनि संयत सागर को अनीता विमल बड़जात्या, मुनि यशोधर सागर को पंडित अजीत शास्त्री,मुनि योग्य सागर को रीना राकेश बाकलीवाल,मुनि यतिंद्र सागर को खुशी शौर्या बाकलीवाल, मुनि यत्न सागर को सुरजकुमार सुमित कुमार बाकलीवाल,मुनि निर्ग्रन्थ सागर को सुधीर रितेश बाकलीवाल,मुनि निर्मोह सागर को उज्जवल रिंपल पाटनी, मुनि निसंग सागर जी को प्रदीप प्रियेश जैन विश्व परिवार,मुनि निर्विकल्प सागर को रीना मनोज सेठी ने रक्षा सूत्र बांधा।
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