MLC चुनाव में अखिलेश यादव के जनजातीय दांव को झटका, सपा प्रत्याशी कीर्ति कोल का पर्चा खारिज

यूपी एमएलसी चुनाव में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को बड़ा झटका लगा है। सपा प्रत्याशी कीर्ति कोल का पर्चा खारिज कर दिया गया है। भाजपा प्रत्याशियों का निर्विरोध निर्वाचन अब तय हो गया है।

यूपी एमएलसी चुनाव में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को बड़ा झटका लगा है। सपा प्रत्याशी कीर्ति कोल का पर्चा खारिज कर दिया गया है।  ऐसे में भाजपा के दोनों प्रत्याशियों का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है। सपा ने कीर्ति कोल को मैदान में उतारकर जनजातीय दांव खेला था। 

दो सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए सोमवार को ही भाजपा की तरफ से धर्मेंद्र सिंह सैंथवार और निर्मला पासवान के साथ ही सपा की तरफ से जनजातीय समाज से आने वाली कीर्ति कोल ने नामांकन पत्र दाखिल किया था। मंगलवार को पर्चा जांच शुरू हुई तो कीर्ति कोल के नामांकन में खामियां मिलीं।

बताया जाता है कि कम उम्र के चलते कीर्ति कोल का नामांकन पत्र खारिज किया गया है। विधान परिषद सदस्य के निर्वाचन के लिए न्यूनतम 30 वर्ष की आयु होनी चाहिए लेकिन समाजवादी पार्टी की विधान परिषद उम्मीदवार कीर्ति कोल ने नामांकन पत्र में अपनी उम्र 28 वर्ष दिखाई थी।

इसके चलते रिटर्निंग अफसर की तरफ से नामांकन पत्र की जांच के दौरान इसे खारिज कर दिया गया। कीर्ति कोल का नामांकन खारिज होने से भाजपा के दोनों उम्मीदवारों धर्मेंद्र सिंह और निर्मला पासवान का निर्विरोध निर्वाचित तय हो जाएगा।

पिछले विधानसभा चुनाव में मिर्जापुर की छानबे विधानसभा सीट से कीर्ति कोल सपा की उम्मीदवार थी लेकिन चुनाव नहीं जीत सकी थीं। समाजवादी पार्टी के नेता अहमद हसन के निधन और भाजपा के नेता ठाकुर जयवीर सिंह के इस्तीफे के कारण खाली हुईं विधान परिषद की दो सीट के लिए उपचुनाव होना है। जयवीर सिंह ने हाल में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी।

सौ सदस्यों वाली विधान परिषद में वर्तमान में भाजपा के 73 सदस्य और सपा के नौ सदस्य हैं, जबकि चार निर्दलीय सदस्य, दो सदस्य अध्यापक समूह से और एक-एक सदस्य अपना दल (एस), निषाद पार्टी और जनसत्ता दल से है। परिषद में आठ सीटें रिक्त हैं।

403 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा और इसके सहयोगी दलों के 273 सदस्य हैं जिसमें भाजपा के 255, अपना दल (एस) के 12 और निषाद पार्टी के छह सदस्य शामिल हैं। वहीं सपा के 111 सदस्य हैं और इसके सहयोगी रालोद के आठ सदस्य हैं। इनके अलावा, सुभासपा के छह, जनसत्ता दल और कांग्रेस के दो-दो सदस्य हैं और बहुजन समाज पार्टी का एक सदस्य है।