चिकनपॉक्स को मंकीपॉक्स समझने की न करें भूल, डॉक्टर्स ने बताया क्या है दोनों में फर्क

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मंकीपॉक्स और चिकनपॉक्स दोनों के सामान्य लक्षण होने की वजह से लोग इन दोनों ही रोग को एक समझने की गलती कर रहे हैं। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों में दोनों वायरल रोगों के लक्षणों के दिखने के तरीके में अंतर है। मंकीपॉक्स एक वायरल ज़ूनोसिस (जानवरों से इंसान में फैलने वाली बीमारी) है जिसमें चेचक के रोगियों में पूर्व में देखे गए लक्षणों के समान लक्षण होते हैं हालांकि, यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है। 

मेदांता अस्पताल में डर्मेटोलॉजी के विजिटिंग कंसल्टेंट डॉ. रमनजीत सिंह ने कहा कि बरसात के मौसम में लोगों में वायरल संक्रमण का खतरा अधिक होता है। इस दौरान चिकनपॉक्स के मामले बड़े पैमाने पर अन्य संक्रमणों के साथ देखे जाते हैं जिनमें चकत्ते और मतली जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा, इस स्थिति के कारण कुछ रोगी भ्रमित हो रहे हैं और चिकनपॉक्स को मंकीपॉक्स समझने की गलती कर रहे हैं। रोगी इसके क्रम और लक्षणों की शुरुआत को समझकर यह निर्धारित कर सकता है कि उसे मंकीपॉक्स है या नहीं। 

मंकीपॉक्स में बुखार-सिरदर्द, चिकनपॉक्स में घाव पर खुजली होती है : 
डॉ. रमनजीत सिंह ने कहा कि मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, अस्वस्थता, सिरदर्द, कभी-कभी गले में खराश और खांसी, और लिम्फैडेनोपैथ (लिम्फ नोड्स में सूजन) से शुरू होता है। ये सभी लक्षण त्वचा के घावों, चकत्ते और अन्य समस्याओं से चार दिन पहले दिखाई देते हैं जो मुख्य रूप से हाथ और आंखों से शुरू होते हैं और पूरे शरीर में फैलते हैं।

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के इंटरनल मेडिसिन विभाग के निदेशक डॉ. सतीश कौल ने कहा, मंकीपॉक्स में घाव चेचक से बड़े होते हैं। मंकीपॉक्स में हथेलियों और तलवों पर घाव दिखाई देते हैं। चिकनपॉक्स (चेचक) में घाव सात से आठ दिनों के बाद अपने आप सीमित हो जाते हैं लेकिन मंकीपॉक्स में ऐसा नहीं होता है। चिकनपॉक्स में घाव में खुजली महसूस होती है। मंकीपॉक्स के घाव में खुजली नहीं होती। 

उधर, बत्रा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. एससीएल गुप्ता ने बताया कि इस तरह के वायरस के लिए एक ‘एनिमल होस्ट’ (वायरस के वाहक जानवर) की आवश्यकता होती है, लेकिन यह गले में खराश, बुखार और सामान्य वायरस के लक्षणों के साथ सीमित रहता है। उन्होंने कहा, इस वायरस का मुख्य लक्षण शरीर पर ऐसे चकत्ते होते हैं जिनके अंदर तरल पदार्थ होता है। इससे वायरल संक्रमण होता है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है। लेकिन, इसकी जटिलता के कारण समस्याएं उत्पन्न होती हैं। मामले में, किसी भी तरह के जीवाणु संक्रमण और मवाद होने पर यह बढ़ता जाता है, जिससे शरीर में और जटिलता हो जाती है। 

लक्षण के बावजूद पुष्टि नहीं : 
पिछले हफ्ते दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में बुखार और घावों की समस्या के साथ भर्ती किए गए मंकीपॉक्स के एक संदिग्ध मरीज में इस संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई, बल्कि चिकनपॉक्स होने का पता चला। इसी तरह, बेंगलुरु गए इथियोपिया के एक नागरिक में कुछ लक्षण दिखने के बाद जांच में चिकनपॉक्स की पुष्टि हुई। भारत में अब तक मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आए हैं। इनमें से तीन केरल से जबकि एक मामला दिल्ली से आया है।