धमतरी, 21जुलाई। गंगरेल बांध में अभी भी लबालब पानी भरा हुआ है। खतरे के निशान से कुछ ही नीचे दूर है। बांध में पानी की आवक व जलभराव को देखते हुए अभी बांध से 5453 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। जबकि जिले के अन्य बांधों की प्यास नहीं बुझ पाई है। सोंढूर, मुरूमसिल्ली व दुधावा बांध को भरने झमाझम वर्षा होने का इंतजार है।
पिछले दिनों गंगरेल बांध के सभी 14 गेट खोले जाने के बाद से लोगों की नजर बांध पर टिकी हुई है। बांध से पानी छोड़ने और बांध में लबालब पानी भरने के बाद अब गंगरेल बांध का नजारा आकर्षक हो गया है। वहीं वर्षा के चलते चहूं ओर हरियाली है। ऐसे में गंगरेल बांध इन दिनों सैलानियों को अपनी ओर खींचने लगा है। दिनोंदिन अब गंगरेल बांध में सैलानियों की भीड़ बढ़ने लगी है। वर्तमान में गंगरेल बांध पर 31 टीएमसी से अधिक जलभराव है, जो खतरे के निशान से कुछ ही नीचे हैं। गंगरेल बांध में कैचमेंट एरिया से 6992 क्यूसेक पानी की आवक हो रही है, जबकि रेडियकल गेट, हेडरेग्यूलेटर, पेन स्टाक गेट से 5453 क्यूसेक पानी छोड़े जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस साल आषाढ़ माह के अंतिम सप्ताह में हुई झमाझम बारिश व सावन माह के पहले ही सप्ताह में गंगरेल बांध के सभी गेट खोलने की नौबत आ गई। जबकि अभी सावन माह के अधिकांश दिन शेष है। कांकेर व अंचल में अच्छी बारिश होती है, तो जल्द ही गंगरेल बांध के गेट दोबारा खुलेंगे।
मुरूमसिल्ली, दुधावा व सोंढूर अभी भी प्यास
आषाढ़ माह में हुई अच्छी बारिश से गंगरेल बांध की प्यास समय से पहले बुझ गई, लेकिन जिले के सोंढूर, मुरूमसिल्ली तथा कांकेर जिला के दुधावा बांध की प्यास अभी नहीं बुझी है। मुरूमसिल्ली बांध की क्षमता करीब साढ़े पांच टीएमसी है, जबकि यहां जलभरास सिर्फ ढाई टीएमसी के करीब है। इसी तरह 10 टीएमसी वाले दुधावा बांध में अभी तक सिर्फ चार टीएमसी जलभराव हुआ है, जो अपनी क्षमता से आधा भी नहीं भर पाया है। वहीं सोंढूर बांध में जलभराव की क्षमता साढ़े छह टीएमसी है, लेकिन यहां सिर्फ ढाई टीएमसी के करीब जलभराव है, जो अपनी क्षमता से काफी कम है। इन बांधों को भरने अब झमाझम बारिश का इंतजार है।
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