संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार की MSP पर बनी कमेटी को किया खारिज, कहा – किसान विरोधी कमेटी में नहीं करेगी हिस्सेदारी

नई दिल्ली, 20 जुलाई (वेदांत समाचार)। संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत सरकार द्वारा एमएसपी व अन्य कई मुद्दों पर बनाई गई समिति को सिरे से खारिज करते हुए इसमें कोई भी प्रतिनिधि नामांकित न करने का फैसला लिया है। किसान मोर्चा ने मोदी सरकार द्वारा गठित समिति को किसान विरोधी करार देते हुए कहा है कि इस समिति में ऐसे सरकारी पिट्ठुओं की भरमार है, जिन्होंने किसान विरोधी कानूनों का समर्थन किया था और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी देने के खिलाफ उनका रूख सार्वजनिक है। इसलिए ऐसी किसी कमेटी से किसानों के पक्ष में किसी तर्कसंगत रिपोर्ट और न्याय की आशा नहीं की जा सकती।

संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक मंडल के सदस्यों — डॉ दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला, जोगिंदर सिंह उगराहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव — ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि संसद अधिवेशन से पहले इस समिति की घोषणा कर सरकार ने मात्र कागजी कार्यवाही पूरी करने की चेष्टा की है और आरोप लगाया है कि कृषि विपणन में सुधार के नाम पर एक ऐसा आइटम डाला गया है, जिसके जरिए वह पिछले दरवाजे से तीनों काले कानूनों को वापस लाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने निम्न तथ्यों के आधार पर कमेटी को अप्रासंगिक बताया है :

  1. कमेटी के अध्यक्ष पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल हैं, जिन्होंने तीनों किसान विरोधी कानून बनाए थे।
  2. उनके साथ नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद भी हैं, जो इन तीनों कानूनों के मुख्य पैरोकार रहे। विशेषज्ञ के नाते ये वे अर्थशास्त्री हैं, जो एमएसपी को कानूनी दर्जा देने के विरुद्ध रहे हैं।
  3. कृष्णा वीर चौधरी भारतीय कृषक समाज से जुड़े हैं और भाजपा के नेता हैं।
  4. सैयद पाशा पटेल महाराष्ट्र से भाजपा के एमएलसी रह चुके हैं।
  5. प्रमोद कुमार चौधरी आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं।
  6. गुणवंत पाटिल शेतकरी संगठन से जुड़े, डब्ल्यूटीओ के हिमायती और भारतीय स्वतंत्र पक्ष पार्टी के जनरल सेक्रेटरी हैं।
  7. गुणी प्रकाश किसान आंदोलन का विरोध करने में अग्रणी रहे हैं।

किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा है कि कमेटी के इस स्वरूप से सरकार की बदनीयती साफ झलकती है, क्योंकि ये सभी लोग या तो सीधे भाजपा-आरएसएस से जुड़े हैं या उनकी नीति की हिमायत करते हैं और देशव्यापी किसान आंदोलन के खिलाफ जहर उगलने का काम करते रहे हैं। ऐसी किसान-विरोधी और अर्थहीन कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भेजने का कोई औचित्य नहीं है।

उन्होंने बताया कि कमेटी के एजेंडा में एमएसपी पर कानून बनाने का जिक्र तक नहीं है। न तो इस कमेटी के अधिकार क्षेत्र और टर्म्स आफ रेफरेंस स्पष्ट हैं और न ही कार्यप्रणाली, और न ही इस कमेटी की सिफारिशें सरकार पर बाध्यकारी हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि किसानों को फसल का उचित दाम दिलाने के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी हासिल करने के लिए उसका संघर्ष जारी रहेगा।