नई दिल्ली: ट्रेन में सफर करने वाले अक्सर कई रूटों से यात्रा कर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं. ट्रेन के सफर का अपना अलग ही मजा होता है. लेकिन क्या आपने जानते हैं कि आखिर देश का आखिरी स्टेशन कौन सा है? अगर नहीं तो आइये हम आपको बताते हैं.
बांग्लादेश की सीमा से सटा सिन्हाबाद, भारत का आखिरी स्टेशन है. कहा जाता है कि ये अंग्रेजों के जमाने का स्टेशन है और आज भी वैसा ही बना है, जैसा अंग्रेज इसे छोड़ कर गए थे. लेकिन देश आजाद होने के बाद से ये स्टेशन एकदम वीरान पड़ा रहता है. यहां कोई भी यात्री ट्रेन नहीं रुकती, इस कारण यहां यात्रियों की चहलकदमी भी नहीं होती है.
आइये एक नजर डालते हैं इसके इतिहास पर
बताया जाता है कि 1971 के बाद जब बांग्लादेश बना, तब भारत और बांग्लादेश के बीच यात्रा की मांग उठने लगी. इसके बाद एक समझौता हुआ जिसके बाद इस रूट पर भारत से बांग्लादेश आने और जाने के लिए मालगाड़ियां फिर से चलने लगीं.
साल 2011 में समझौते में संशोधन करके इसमें नेपाल को भी शामिल कर लिया गया. आज बांग्लादेश के अलावा नेपाल जाने वाली मालगाड़ियां भी इस स्टेशन से होकर गुजरती हैं. रोहनपुर के रास्ते बांग्लादेश जाने वाली और भारत से नेपाल की ओर जाने वाली मालगाड़ियां यहां कई बार रुककर सिग्नल के लिए इंतजार करती हैं.
आपको बता दें कि यहां रेलवे बोर्ड पर लिखा है ‘भारत का अंतिम स्टेशन’. यहां पर सिग्रल, संचार और स्टेशन से जुड़े सारे उपकरण, टेलीफोन और टिकट आज भी अंग्रेजों के समय के ही हैं. सिग्नल के लिए हाथ के गियरों का इस्तेमाल किया जाता है. यात्री ट्रेन न रुकने की वजह से यहां टिकट काउंटर हमेशा बंद रहता है. स्टेशन पर कर्मचारी गिने चुने ही हैं. स्टेशन के नाम पर सिर्फ छोटा सा स्टेशन ऑफिस नजर आता है.
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