क्यों भारतीय लड़कियां अर्ली प्यूबर्टी की शिकार हो रही है, जानिए बड़ी वजह…

नई दिल्ली। कुछ साल पहले लड़कियां 14 से 15 साल के उम्र में प्यूबर्टी हिट करती थी लेकिन आज के तारिखों में लड़कियां 7 साल कि उम्र में ही प्यूबर्टी हिट करने लग गई हैं। अर्ली प्यूबर्टी मतलब कम उम्र में ही जवान होने के लक्षण दिख जाते हैं। जैसे ब्रैस्ट में परिवर्तन, मानसिक धर्म का चालू हो जाना। चलिए जानते है क्या है अर्ली प्यूबर्टी के लक्षण और क्यों इन दिनों लड़कियों में यह समस्या आज कल उभर कर आ रही है।

अर्ली प्यूबर्टी के कारण –

  1. वंशानुगत कारण से कई बार इसका असर दिख सकता है। यदि मां की प्यूबर्टी जल्दी हुई हो, तो बहुत हद तक संभव है की बेटी को भी जल्दी प्यूबर्टी हो जाए।
  2. विभिन्न शोध में यह बात कई बार साबित की जा चुकी है कि पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए दिए जाने वाले इंजेक्शन इसका सबसे बड़ा कारण हैं। आॅक्सिटोसिन नामक हार्मोन गाय-भैंसों को दूध की अधिक निर्माण-क्षमता के लिए दिया जाता है। पोल्ट्री, बकरी और डेयरी एनिमल्स को भी ग्रोथ हार्मोंस दिए जाते हैं। आॅक्सिटोसिन शरीर में एस्ट्रोजेन की तरह ही काम करता है, जिससे प्यूबर्टी के लक्षण जल्दी उभरने लगते हैं। आजकल सब्जियों से लेकर अंडे तक आॅक्सिटोसिन से भरपूर मिलने लगे हैं।
  3. आजकल बच्चे आउटडोर गेम्स न खेलकर घर में टीवी या कंप्यूटर्स पर चिपके रहते हैं। जंक फूड खाने और शारीरिक गतिविधि कम होने से उनमें तेजी से मोटापा बढ़ रहा है। इसके चलते फैट सेल्स एनर्जी स्टोर करने की बजाय लेप्टिन नाम का हार्मोन बनाने लगते हैं। जिनमें मोटापे के कारण इस हार्मोन का स्तर अधिक होता है, उनमें अर्ली प्यूबर्टी की संभावना अधिक होती है।
  4. पेस्टिसाइड्स और उनके बायप्रोडक्ट्स हमारे हार्मोनल सिस्टम पर काफी बुरा असर डालते हैं, जिनसे मोटापा बढ़ रहा है और लड़कियों में प्यूबर्टी भी जल्दी हो रही है. जो पेस्टिसाइड्स प्रतिबंधित हैं, उनका अन्य कामों के लिए अब भी इस्तेमाल हो रहा है। मच्छरों के नियंत्रण व जानवरों के बचाव के लिए इनका प्रयोग किया जाता है।

5.इसके अलावा प्लास्टिक के निर्माण में भी जो तत्व इस्तेमाल होता है, उससे भी हार्मोंस प्रभावित होते हैं। यही वजह है कि लड़कियां कम उम्र में ही सेक्सुअली मैच्योर हो रही हैं।

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