वैश्विक मामलों के जानकार यह भी बता रहे हैं कि यह ऑनलाइन शिखर सम्मेलन अमेरिकी गठबंधनों को सक्रिय करने की रणनीति का एक हिस्सा है। हालांकि इस गठबंधन में शामिल चारों राष्ट्रों को फायदा होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को पहले I2U2 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। इसमें उनके साथ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, UAE राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और इजरायल के प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे। यह सम्मेलन वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए होगा। इस दौरान सभी नेता इस नए गठबंधन के जरिए आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने की बात करेंगे। आइए समझते हैं कि चार राष्ट्रों का यह गठबंधन कैसे और किस उद्देश्य से बना है।
दरअसल, इस सम्मेलन के बारे में विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में बताया है कि सभी नेता I2U2 के ढांचे के भीतर संभावित संयुक्त परियोजनाओं के साथ-साथ पारस्परिक हित के अन्य सामान्य क्षेत्रों पर चर्चा करेंगे। इससे हमारे संबंधित क्षेत्रों और उससे आगे व्यापार-निवेश में आर्थिक साझेदारी को मजबूत किया जा सकेगा।
राष्ट्रों के प्रथम अक्षरों को मिलाकर बना है यह नाम
इस समूह को I2U2 के नाम दिया गया है। जिसमें ‘आई’ भारत और इजराइल के लिए जबकि ‘यू’ अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात के लिए है। ग्रुप की परिकल्पना पिछले साल 18 अक्टूबर को हुई थी जब इन चार देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी। एक तथ्य यह भी है कि पिछले कुछ वर्षों में तीनों राष्ट्रों में से प्रत्येक के साथ भारत के द्विपक्षीय रणनीतिक संबंध मजबूत हुए हैं।
ये मुद्दे उद्देश्य में हो सकते हैं शामिल
यह शिखर सम्मेलन भारतीय समयानुसार शाम चार बजे शुरू होने की संभावना है। सम्मेलन में यूक्रेन युद्ध के कारण उपजे वैश्विक खाद्य और ऊर्जा संकट पर प्रमुखता से बातचीत हो सकती है। चारों नेता नए समूह की रूपरेखा पर भी बात कर सकते हैं और सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों को चिह्नित कर सकते हैं। वे यूक्रेन संकट की पृष्ठभूमि में ऊर्जा और खाद्य समस्याओं समेत क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श कर सकते हैं।
इसके अलावा हाल ही में विदेश मंत्रालय ने बताया था कि यह बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार आदि महत्वपूर्ण चीजों चर्चा के लिए है। यह भी बताया गया कि सभी लीडर I2U2 के ढांचे के भीतर संभावित संयुक्त परियोजनाओं के साथ-साथ पारस्परिक हित के अन्य क्षेत्रों पर चर्चा करेंगे। ताकि हमारे संबंधित क्षेत्रों, उसके बाहर व्यापार और निवेश में आर्थिक साझेदारी को मजबूत किया जा सके।
गठबंधन के अमेरिकी हित और भारत
वैश्विक मामलों के जानकार यह भी बता रहे हैं कि दुनियाभर में अमेरिकी गठबंधनों को सक्रिय और पुनर्जीवित करने की कोशिशों के तहत यह ऑनलाइन शिखर सम्मेलन रणनीति का एक हिस्सा है। इस गठबंधन में शामिल चारों राष्ट्रों को इससे फायदा हो सकता है। हालांकि इसमें शामिल अन्य तीन राष्ट्रों से भारत के पहले ही अच्छे संबंध रहे हैं।
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