सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना केस में 4 महीने जेल सुनाई; कहा- सजा जरूरी, क्योंकि माल्या को पछतावा नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को अवमानना ​​के आरोप में चार महीने की जेल और 2000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। बेंच ने कहा, ‘सजा जरूरी है क्योंकि माल्या को कोई पछतावा नहीं हैं।’ जुर्माना न चुकाने पर 2 महीने की अतिरिक्त सजा होगी।

माल्या को 4 हफ्ते के अंदर ब्याज के साथ 40 मिलियन डॉलर (करीब 317 करोड़ रुपए) भी वापस करने को कहा गया है जो उसने अपने बच्चों के विदेशी एकाउंट में ट्रांसफर किए थे। ऐसा न करने पर उसकी संपत्ति कुर्क की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस सुधांशु धूलिया वाली 3 जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया है।

माल्या ने पैसों की गलत जानकारी दी
केंद्र ने कहा था कि माल्या ने न सिर्फ विदेशी खातों में पैसे ट्रांसफर करने को लेकर कोर्ट को गलत जानकारी दी, बल्कि पिछले 5 साल से कोर्ट में पेश न होकर अवमानना को और आगे बढ़ाया है। माल्या को 9 मई 2017 को ही सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी मानते हुए उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी। कोर्ट ने 10 मार्च को माल्या की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा था। उसे डिएगो डील के 40 मिलियन डॉलर अपने बच्चों के विदेशी एकाउंट में ट्रांसफर करने और सम्पत्ति का सही ब्यौरा न देने के लिए अवमानना का दोषी करार दिया गया था।

माल्य ने 9,000 करोड़ रुपए नहीं चुकाए
भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में बैंकों के एक कंसोर्टियम ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि माल्या 9,000 करोड़ रुपए से अधिक के लोन के रिपेमेंट पर अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रहा है। माल्या मार्च 2016 से यूके में है। वह अभी जमानत पर है।

SBI समेत 13 बैंकों ने लगाई थी याचिका
माल्या के खिलाफ SBI के नेतृत्व में 13 बैंकों ने लंदन की अदालत में याचिका दायर की थी। इनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, कॉर्पोरेशन बैंक, फेडरल बैंक लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू और कश्मीर बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और जेएम फाइनेंशियल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के साथ-साथ एक अतिरिक्त लेनदार इस केस में मुख्य याचिकाकर्ता थे।

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