कलेक्टर ने की समिति गठित
रायगढ़ । जिले के सबसे पुराने और सबसे बड़े कार्मेल कान्वेंट स्कूल एक बार फिर सुर्खियों में आया है। कार्मेल स्कूल की नर्सरी के छात्र के साथ टीचर के द्वारा कथित रूप से मारपीट के मामले ने तूल पकड़ लिया है। बच्चे के चेहरे पर निशान पड़े थे सोशल मीडिया में इसे लेकर स्कूल प्रबंधन की काफी किरकिरी भी हुई थी। कोतवाली से लेकर रायगढ़ कलेक्टर तक इसकी शिकायत की गई है। हालांकि इस मामले में टीचर का कहना था कि बच्चा 45 मिनट तक बैग पर सर रखकर सोया था, इसलिए उसके चेहरे पर निशान पड़े थे।
बच्चे के पिता का नाम विधान चंद्र गांधी है। जो वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्वर्गीय भग्गूभाई गांधी के भतीजे और युवा कांग्रेस नेता यतीश गांधी के भाई हैं। इस साल से कार्मेल स्कूल में नर्सरी की क्लासेस शुरू की गई है। जिसमें उन्होंने अपने स्कूल का नाम और गुणवत्ता देखकर ढाई साल के पुत्र का एडमिशन कराया था। छुट्टी के बाद जब उसके चाचा उसे लेने के लिए स्कूल गए थे। तब बच्चे के चेहरे पर निशान थे। उन्होंने टीचर से इस बारे में पूछा.. तो टीचर ने उन्हें बताया कि उनका बच्चा 45 मिनट से बैग पर सर रख सो रहा था। इसलिए उसके गाल पर यह निशान पड़ गया है। काफी देर तक हंगामा हुआ। स्कूल ऑफिस में भी इस बात को बताया गया। जहां परिजनों और स्टाफ के बीच नोकझोंक हुई। परिजनों ने लिखित रूप से 2 लोगों के खिलाफ शिकायत कोतवाली पुलिस और रायगढ़ कलेक्टर को दी है।
कांग्रेस और भाजपा दोनों की स्टूडेंट विंग ने इस बारे में अपना विरोध प्रकट किया था। स्कूल प्रबंधन और जिला कलेक्टर को इस बाबत ज्ञापन भी सौंपा गया था। जिला शिक्षा अधिकारी के तरफ से जांच दल भी आज स्कूल स्कूल गया था। आज दिन भर यह रायगढ़ का सबसे चर्चित मामला रहा।
अभी तक यह संशय का विषय था की क्या सच में मात्र ढाई साल साल के एक बच्चे के साथ टीचर द्वारा क्रूरता की गई है या फिर टीचर की बात में सच्चाई है? इस पूरे मामले में अब तक जो सच बाहर निकल कर आया है। वह हम आपको बताने वाले हैं। आज दोपहर बच्चे का डॉक्टरी मुलाहिजा किया गया। डॉक्टर मुलाहिजा करने वाले ईएनटी के स्पेशलिस्ट डॉक्टर आर एन मंडावी ने बताया कि “बच्चे का डॉक्टरी मुलाहिजा किया गया है। बच्चे को अंदरूनी चोट लगी है। उसके कान के अंदर में सूजन है, लेकिन पर्दे को कोई नुकसान नहीं हुआ है। बच्चे को मार पड़ी है।”
मेडिकल रिपोर्ट के माने तो बच्चे के साथ मारपीट की गई है। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि ऐसी कौन सी बात हो गई? जिसके लिए टीचर को इतना रौद्र रूप अपनाना पड़ा? वो भी सिर्फ ढाई साल के बच्चे के साथ। इस उम्र में बच्चा बोलना और समझना सीख रहा होता है। वह सब कुछ अच्छे से सीखे। इसलिए मां-बाप एक अच्छी सी स्कूल की तलाश में बड़े स्कूलों में अपने बच्चों को भेजते हैं! जहां उन्हें भरोसा दिलाया जाता है कि उनके बच्चे की देखभाल की जाएगी मगर, इस तरह का बर्ताव सामने आने पर कहीं ना कहीं एक बार फिर से शिक्षकों के खास करके छोटे बच्चों के शिक्षक होने के लिए अनिवार्य गुणवत्ता और मानसिक स्थिति का अच्छे से आकलन करना चाहिए।
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