कोरिया । जिले में बीते तीन सालों में चिरायु कार्यक्रम के तहत 4 हजार 252 बच्चों को 30 से भी ज्यादा अलग-अलग बीमारियों में निशुल्क इलाज मुहैया कराया गया है। शासन के निर्देश पर जिले में मई एवं जून माह में आयोजित चिरायु कैम्प में 400 से ज्यादा बच्चों को स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार की सुविधा भी दी गई है।
क्लेफ्ट लिप और पैलेट यानि कटे-फटे होंठ और तालु, क्लब फुट-टेढ़े पैर, कंजेनाइटल हार्ट डिजीज यानि जन्मजात दिल की बीमारी, ऐसी कई बीमारियां हैं जिनसे कुछ बच्चों को जन्म से ही जूझना पड़ता है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना हो तो माता-पिता चाहते हुए भी अपने बच्चों के लिए कुछ कर पाने में असमर्थ होते हैं। ऐसे परिवार और बच्चों की मदद के लिए ही राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चिरायु के तहत 30 से भी ज्यादा बीमारियों का इलाज निशुल्क किया जाता है।
जिले में चिरायु कार्यक्रम के तहत जिला प्रशासन की विशेष पहल पर चिरायु दल द्वारा सर्वे किए गए। चिन्हाकिंत किए गए बच्चों के लिए खास शिविर आयोजित कर स्क्रीनिंग की गई। क्लेफ्ट लिप और क्लब फुट की समस्या से जूझते बच्चों की जिला चिकित्सालय में सर्जरी की गई। जिन बच्चों की सर्जरी क्रिटिकल रही उन्हें जिले से बाहर राजधानी रायपुर में भी इलाज के लिए रिफर किया गया। लगातार फॉलोअप लेकर परिजनों की मदद की गई। निशुल्क इलाज से लौटकर आये परिजन तो उनके चेहरे पर खुशी और होठों पर मुस्कुराहटें रही।
जिला प्रशासन द्वारा अप्रैल माह में आयोजित मुस्कान कैम्प में 29 बच्चों की क्लेफ्ट लिप और क्लब फुट सर्जरी को अंजाम दिया गया और 45 से ज्यादा बच्चों की देखभाल के लिए माता-पिता को चिकित्सकीय सलाह दी गई।
मानसी को कॉम्प्लेक्स सिंडेक्टली से मिली राहत
केस 1 – 27 एवं 28 अप्रैल को जिला प्रशासन के द्वारा जिले में आयोजित मुस्कान कैम्प में 8 महीने की मानसी की सर्जरी संपन्न हुई। सरभोका निवासी माता-पिता अपने साथ मानसी को जिला चिकित्सालय बैकुण्ठपुर में शिविर में लेकर आये। मानसी कॉम्प्लेक्स सिंडेक्टली की समस्या पीड़ित थी। इसमें हाथों या पैरों की उंगलियां आपस में जुड़ी हुई रहती हैं। इन्हें वेब्ड फिंगर्स या टोज़ भी कहते हैं। बिलासपुर एवं अंबिकापुर से आये विशेषज्ञों और जिला चिकित्सालय के विशेषज्ञों की मौजूदगी में सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न हुई और मानसी को इस विकृति से हमेशा के लिए मुक्ति मिली।
क्लब फुट के कारण ना ही तो वो खेल पाती और ना ही दूसरे बच्चों की तरह दौड़ पाती थी काव्या
केस 2 – मुस्कान कैम्प में ही काव्या का क्लब फुट की सर्जरी हुई। मनेन्द्रगढ़ के कोल दफाई 3 खोंगापानी की काव्या के क्लब फुट की दिक्कत के कारण ना ही तो वो खेल पाती और ना ही दूसरे बच्चों की तरह दौड़ पाती। 28 अप्रैल को जिला चिकित्सालय में हुए कैम्प में काव्या की सर्जरी हुई और अब वो काव्या बिल्कुल ठीक है। बिटिया के स्वस्थ होने की खुशी में माता-पिता प्रशासन और टीम का आभार व्यक्त करते हैं।
रायपुर में हुई अंकित की हुई क्लेफ्ट लिप सर्जरी
केस 3 – खड़गवां विकासखंड के ग्राम धवलपुर के 2 वर्षीय अंकित को जन्म से क्लेफ्ट लिप की समस्या थी। चिरायु दल के द्वारा सर्वे के दौरान अंकित की पहचान की गई। परिजनों को लगा इलाज में बहुत पैसे लगेंगे, तो शुरू में वे तैयार नहीं हुए। चिरायु दल ने उन्हें कार्यक्रम की पूरी जानकारी दी तब वे सहमत हुए। इलाज के लिए अंकित को रायपुर रिफर किया गया और अनुबंधित चिकित्सालय में अंकित का निःशुल्क सर्जरी हुई। इस प्रक्रिया के स्वास्थ्य टीम लगातार फ़ॉलोअप लेती रही और अब अंकित पूरी तरह स्वस्थ है।
शौर्य को मिली स्पीच थैरेपी
केस 4 – मई माह में देवाडांड़ में आयोजित स्वास्थ्य शिविर में आये खड़गवां के 11 साल के शौर्य को बोलने में दिक्कत थी। चिरायु कार्यक्रम के तहत शिविर में उनकी प्रारंभिक जांच कर स्पीच थेरेपी के लिए जिला चिकित्सालय रिफर किया गया जिसके बाद जिला चिकित्सालय में शौर्य की स्पीच थेरेपी की गई।
कार्तिक को जन्मजात न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से निजात मिली
केस 5 – कोरोना का असर कम होने के बाद जिला प्रशासन ने चिरायु कार्यक्रम के तहत बच्चों के इलाज के लिए उन्हें रायपुर रेफेर की फिर शुरुआत की और मार्च 2022 में मनेन्द्रगढ़ के ग्राम चनवारीडांड़ के कार्तिक को जन्मजात न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट यानी तंत्रिका नली दोष से निजात मिली। ये एक ऐसा डिफेक्ट है जो भ्रूण के मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इसके कारण शिशु को मानसिक या शारीरिक दिव्यांगता हो सकती है। कार्तिक के माता-पिता जिला प्रशासन को धन्यवाद देते हुए बताते हैं कि इलाज के खर्च के बारे में सोच कर थोड़ी हिचकिचाहट थी पर स्वास्थ्य टीम के द्वारा योजना के तहत निःशुल्क इलाज की पूरी जानकारी से आश्वस्त हुए और आज कार्तिक पूरी तरह स्वस्थ है।
कंजेनाइटल हार्ट डिजीज से ग्रस्त सबा को चिरायु कार्यक्रम के तहत निःशुल्क इलाज
केस 6 – कंजेनाइटल हार्ट डिजीज से ग्रस्त सबा को चिरायु कार्यक्रम के तहत निःशुल्क इलाज से नई जिंदगी मिली। 6 साल की सबा को कंजेनाइटल हार्ट डिजीज थी। सबा के पिता पेशे से ड्राइवर हैं। वे बताते है कि 4 हज़ार के मासिक वेतन में बच्ची के इलाज की रकम जुटा पाना बेहद मुश्किल था। हम चाहते थे कि बच्ची ठीक हो जाये पर कोई रास्ता समझ नहीं आता था। तब एक दिन चिरायु दल ने मुलाकात की और योजना के बारे में बताया। उम्मीद जगी और पूरी भी हुई। प्रशासन की टीम की बदौलत सबा का इलाज हुआ और आज वो आराम से खेल-कूद रही है। ये बताते हुए सबा के पिता के चेहरे पर खुशी की झलक साफ दिखती है।
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