छत्तीसगढ़ में पेसा कानून के प्रारूप को मंजूरी

रायपुर, 8 जुलाई।भूपेश कैबिनेट की बैठक में पेसा कानून के प्रारूप को हरी झंडी दे दी गई है। छत्तीसगढ़ सरकार के प्रवक्ता, कैबिनेट मंत्री रविन्द्र चौबे ने गुरुवार देर शाम जानकारी दी कि पांचवी अनुसूची में शामिल इलाकों की ग्राम सभा को अधिकार संपन्न बनाने के लिए पेसा कानून बनाया गया था।राज्य में इसे लागू करने के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही थी।अब इसका प्रारूप बनकर तैयार हो गया है। मंत्रिमंडल की बैठक में इसका अनुमोदन किया गया।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, जिनके पास पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग भी है ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की और गुरुवार को कहा कि पेसा नियम के अंतर्गत सभी वर्गों को ग्राम सभा की समितियों में प्रतिनिधित्व मिलेगा।सिंहदेव ने ट्वीट कर कहा, ”आज आप सभी के साथ यह साझा करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि राहुल गांधी जी की मंशा के अनुरूप जन- घोषणा पत्र 2018 में जो पेसा नियम छत्तीसगढ़ में लागू करने का फैसला हम सभी ने मिलकर लिया था, वह कैबिनेट की बैठक में पूर्ण हुआ है।”

उल्लेखनीय है कि पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम, 1996 या पेसा, अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करने के लिए केंद्र द्वारा अधिनियमित किया गया था। यह कानूनी रूप से जनजातीय समुदायों, अनुसूचित क्षेत्रों के निवासियों के स्वशासन की अपनी प्रणालियों के माध्यम से खुद को नियंत्रित करने के अधिकार को मान्यता देता है। प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को भी स्वीकार करता है। पेसा ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं की मंजूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है। इसमें नीतियों को लागू करने वाली प्रक्रियाएं और कर्मी, लघु (गैर-लकड़ी) वन संसाधनों, लघु जल निकायों और लघु खनिजों पर नियंत्रण रखने, स्थानीय बाजारों का प्रबंधन, भूमि के अलगाव को रोकने और अन्य चीजों के साथ नशीले पदार्थों को नियंत्रित करना शामिल है।