नई दिल्ली । केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण व रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित आईपीसी सम्मेलन- 2022 की अध्यक्षता की। इस सम्मेलन में उन्होंने इंडियन फार्माकोपिया (आईपी) के 9वें संस्करण का विमोचन किया। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार भी उपस्थित थीं। इस वर्ष के सम्मेलन की विषयवस्तु भविष्य के लिए चिकित्सा गुणवत्ता पर व्याख्यान थी।
इस अवसर पर डॉ. मनसुख मांडविया ने भारत के फार्माकोपिया को पूरे विश्व में स्वीकार और सराहना किए जाने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा, हम जेनेरिक दवा सूत्रीकरण व निर्माण में विशेषज्ञता और विश्व को सस्ती दवा की आपूर्ति करके विश्व की फार्मेसी बन गए हैं। लेकिन हमें अभी भी औषध क्षेत्र में अनुसंधान को मजबूत करने की जरूरत है। अब तक चार देशों – अफगानिस्तान, घाना, नेपाल और मॉरीशस- ने आईपी को मानकों की पुस्तक के रूप में स्वीकार किया है। हमें एक रोडमैप बनाना चाहिए और इसे आगे बढ़ना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक देश हमारे फार्माकोपिया को स्वीकार करें।
उन्होंने आगे इसका उल्लेख किया कि भारत जेनेरिक औषधि का विश्व में सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और मात्रा के आधार पर जेनेरिक की आपूर्ति में 20 फीसदी हिस्सेदारी है। स्वास्थ्य मंत्री ने आगे बताया कि भारत ने कोविड महामारी के दौरान 150 देशों को सुलभ और सस्ती टीकों की आपूर्ति की है। उन्होंने कहा, कई देशों में टीके व अन्य जेनेरिक औषधियों की आपूर्ति में हमने कभी भी गुणवत्ता और मानकों से समझौता नहीं किया, घटिया या नकली दवाएं नहीं दीं। इसके परिणामस्वरूप भारत ने वैश्विक ख्याति प्राप्त की है।