जांजगीर,2 जुलाई। बारिश का मौसम आते ही ज़मीन में रेंगने वाली मौत का सामना अक्सर होता रहता हैं पर यहीं मौत अगर हमारे घर पर ही रह रही हो तो, घर में साप के बच्चो का मिलना कोरबा जिले के लिए आम बात हैं पर इस बार जांजगीर चांपा जिले में एक घर में निकलने की पहली घटना हैं तो सोचिए कितना खौफ नाक मंज़र होगा जी हा ऐसा ही कुछ हुआ है छत्तीसगढ़ के जांगजीर चांपा जिले के नागरदा कुर्दा गांव में रह रहे बृहस्पति कंवर अपने परिवार के साथ कुछ दिनों से खौफ में रह रहे थे, बृहस्पती कंवर का परिवार इतना ज्यादा डर गया था उस कमरे के आस पास जाना ही बंद कर दिया और जब भी उस कमरे से साप के बच्चें बहार निकलते एक एक कर के मार दिया जाता था पर इतनी हिम्मत किसी में नहीं थी की उस कमरे को खोल कर ये देख सकें की आखिरकार नाग के बच्चें निकल कहा से रहें हैं, ये घटना गांव और आस पास के गांव में आग की तरह फैल गई पर कोई भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे था की अंदर जाकर देखें, ऐसे ही कर के कुछ दिन गुजर गए और एक एक कर के पांच बच्चें मारे गए, जब फिर भी बच्चों का निकलना बंद नहीं हुआ तो उन्होंने स्नेक रेस्क्यू टीम अध्यक्ष वन विभाग सदस्य जितेन्द्र सारथी को इसकी जानकारी दी गई, जिस पर उन्होंने समझाइश देते हुए कहा अधिक दूरी होने के कारण पहुंचने में समय लगेगा, जिसके बाद जितेन्द्र सारथी अपने टीम नागेश सोनी के साथ गांव के लिए निकल पड़े जो की कोरबा से 52 किलोमीटर दूर था, रास्ता ख़राब और अधीक दूरी होने के कारण पहुंचने में 2 घण्टे लग गए जिसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन चालू किया गया।
घर वालों ने बताया की ये कमरा काफ़ी लम्बे समय से बंद है और डर से हम सब अन्दर प्रवेश नहीं कर पा रहे,फिर लगे ताला को तोड़ा गया धीरे धीरे सभी सामान को बहार निकाला गया और जहां से साप के बच्चे निकल रहें थे उस दिवाल को तोड़ा गया, जैसे जैसे दिवाल को तोड़ कर खुदाई करते गए वैसे वैसे दिवाल और नीचे ज़मीन से एक एक कर 12 बच्चें निकाले गए, इस मंज़र को देखने के लिए पूरा गांव इकट्ठा हो गया था, उस भीड़ में शामिल बच्चें और महिलाएं ये देख कर आश्चर्य चकित थी की इतने सारे बच्चे निकल कैसे रहें, सब के मन में सब से ज्यादा इस बात की जिज्ञासा थी की उन बच्चों की मां कहा हैं,पर काफ़ी खुदाई के बाद भी उसकी मां नहीं मिली आशंका जताई गई की आंडो से बच्चें बाहर निकलते ही वो भी कहीं निकल कर चली गईं होगी इस तरह 8 घण्टे के कड़ी मेहनत भरे रेस्क्यू में 12 नाग के बच्चें निकले जिसके बाद घर वालों के साथ गांव वालों ने राहत की सास ली और जितेन्द्र सारथी और उनकी टीम की मेहनत की तालिया बजा के अभिवादन करते हुए प्रशंसा किया गया।
जितेन्द्र सारथी ने बताया ये रेस्क्यू अपने आप में एक चैलेंज था कोरबा से 52 किलोमीटर दूर ऊपर से 8 घण्टे की कड़ी मेहनत के बाद घर वालों को राहत दिलाना और साप बच्चों की जान बचा पाना मेरे लिए गर्व का विषय अगर रेस्क्यू नहीं किया गया होता तो एक एक कर बच्चों को मार दिया गया होता साथ ही घर वाले एक बड़ी दुर्घटना का शिकार हो जाते, रेस्क्यू के उपरांत दोनों की सुरक्षित कर लिया गया।
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