रायपुर I भारतीय मौसम विभाग, पुणे के क्लाइमेट रिसर्च एंड सर्विस ने छत्तीसगढ़ के मानसून पर एक रिसर्च रिपोर्ट तैयार की है। 30 सालों के डेटा पर आधारित इस रिपोर्ट के नतीजे बताते हैं कि कोरबा, जांजगीर, बेमेतरा, धमतरी और राजनांदगांव में रैनी डे की संख्या बढ़ी है, जबकि सरगुजा में कमी देखने को मिली है। इस रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि सितंबर में बारिश की मात्रा बढ़ती गई है। इसे तीस सालों के गुणांक के आधार पर निकाला गया है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में मानसून 10 से 15 जून तक सक्रिय होता रहा है। यहां मानसून में 1124 मिमी और सालभर में 1249.9 मिमी बारिश होती है। इस बार भी 12 जून के आसपास मानसून की प्रदेश में एंट्री की संभावना है। बस्तर होते हुए मानसून पूरे प्रदेश में सक्रिय होता है। सितंबर के महीने में बस्तर में 245.2 मिमी औसत बारिश का रिकार्ड है। इसी तरह कांकेर में 214.6 और दुर्ग में 180 मिमी का औसत दर्ज है। अब देखा जा रहा है कि इन जिलों में अब सितंबर में औसत से 20 से 30 फीसदी ज्यादा बारिश हो रही है।
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि 30 सितंबर तक मानसून का सीजन रहता है। पहले जून में तय तारीख यानी 10 जून तक मानसून बस्तर पहुंचता रहा है और जून, जुलाई और अगस्त में अच्छी-खासी बारिश कराने के बाद सितंबर में लौटते मानसून से थोड़ी-बहुत वर्षा होती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में मानसून के आने का समय पांच से दस दिन तक आगे बढ़ गया है। इसलिए सितंबर के आखिरी दिनों तक ज्यादा बारिश होने लगी है। मानसून की विदाई भी 10 से 15 अक्टूबर के बजाए 25 अक्टूबर तक हो रही है। इधर, सरगुजा व जशपुर में मानसून के दौरान बारिश में गिरावट का ट्रेंड है। 30 सालों के डेटा अध्ययन के बाद मौसम विभाग ने यह निष्कर्ष निकाला है कि महासमुंद में मानसून के दौरान बारिश में वृद्धि हुई है। रैनी डे की संख्या में बड़ा बदलाव आया है। कोरबा, जांजगीर, बेमेतरा, धमतरी और राजनांदगांव में रैनी डे की संख्या में वृद्धि हो गई है। जून से सितंबर के बीच औसत रूप से इन जिलों में 40 से 45 रैनी डे होते हैं। इसमें अब 5 से 10 दिन की वृद्धि हो गई है।
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