कोरबा 30 मई (वेदांत समाचार) तम्बाकु के इस विषैले प्रभाव एवं भावी पीढ़ी की इसमें संलग्नता से उत्पन्न समाजिक, पारिवारिक एवं राष्ट्रीय खतरे से लोगों की आगाह करने एवं बच्चों को इसकी लत से दूर रखने के उद्देश्य से दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में विश्व धुम्रपान निषेध दिवस पर आयोजन किया गया जिसमें विविध गतिविधियों के द्वारा यह बताया गया कि किस प्रकार तम्बाकु वनस्पतीय पदार्थ होते हुए भी हमारे लिए जानलेवा है। बच्चों ने ऑनलाइन बेस्ट फेस पेंटिंग चैलेंज में फेस पेटिंग माध्यम से दिया संदेश । बच्चों द्वारा एक आकर्षक नाटिका का ऑनलाइन ज़ूम एप्प पर आयोजन कर यह दर्शाया गया कि तम्बाकु केवल हमारे स्वास्थ्य को नही अपितु हमारे संस्कारों को भी खत्म कर रहा है। खैनी, गुटखा, जर्दा खाकर अनुचित जगहों पर थूकना गंदगी फैलाना हमारे संस्कारों को खत्म कर रहा है। और हम जैसे कर रहे हैं, हमें देखकर बच्चे भी नहीं सीख रहें है। इस कार्यक्रम में बच्चों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया ।
ऑनलाईन कार्यक्रम में विद्यालय के प्राचार्य शिक्षक एवं स्टाफ एवं सभी बच्चों ने तम्बाकु पदार्थों का सेवन न करने और लोगों को भी इनके सेवन से रोकने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने अपने उद्बोधन में कहा कि चिंता को मिटाने के लिए किया गया सिगरेट का सेवन हमें चिता तक पहुँचाता है। आज हमारे देश का भविष्य तम्बाकु के भयानक प्रभाव में समा चुका है। हमें आवश्यक जरूरत है। इन बच्चों को इससे दूर रखने की। बच्चों के सामने भूल से भी सिगरेट गुटखा आदि का सेवन ना करें। बच्चों को सही मार्ग पर लाने के लिए आवश्यक है पहले स्वयं अपना मार्ग बदलें।
विश्व धुम्रपान निषेध दिवस के अवसर पर दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में बच्चों द्वारा ऑनलाईन बेस्ट फेस पेंटिंग चैलेंज में फेस पेंटिंग प्रतियोगिता का ऑनलाईन आयोजन किया गया । बच्चों ने ऑनलाईन बेस्ट फेस पेंटिंग चैलेंज में फेस पेटिंग के माध्यम से दिया संदेश ।
वनस्पति जगत में तरह-तरह के पेड़-पौधे पाए जाते है सभी हमारे लिए जीवन दायी अमृत का कार्य करते हैं क्योंकि सभी पेड़-पौधे हमें आक्सीजन देते है। परंतु इनमे से कुछ हानिकारक भी होते है जिनके फल-फूल या पत्तीयों का सेवन हमें मौत के मुहँ में पहुँचा देता है , उन्हीं में से एक है निकोटियाना प्रजाति की एक झाड़ी जिसके पत्ते को सुखाकर तम्बाकु बनाया जाता है जो आज संपूर्ण जगत को अपने वष में लिए हुए है और हर साल हजारों मौतें तम्बाकु की वजह से होते हैं। युँ तो विश्व में तम्बाकु का इस्तेमाल सिगरेट व सिगार के रूप में किया जाता है, परंतु भारत में इसे कई रूपों में तबदील करके बीड़ी-हुक्का, जर्दा खैनी, गुटखा आदि नामो से बेचा जाता है। आज तम्बाकु ने लगभग सारे घर को अपने कब्जे में ले रखा है। चाहे उसके सेवन के रूप हो चाहे इनसे बने उत्पादों के विक्रय के रूप में हो। बच्चा- बच्चा आज तम्बाकु एवं इसके उत्पादों से परिचित है आलय यह है कि देष का भविष्य कहे जाने वाले बच्चे भी आज तम्बाकु उत्पादों के सेवन से अछुते नहीं हैं। इससे उनके स्वास्थ्य एवं संस्कार दोनो को छति पहुँच रही है। शौक और मस्ती के साथ शुरू हुआ तम्बाकु का खेल कब जहर में तब्दील हो जाता है इसकी भनक भी व्यक्ति को नही पड़ती। इसके इस्तेमाल से कई गंभीर बीमारियाँ शरीर को गलाने व सड़ाने लगती है। तंबाकू का उपयोग वैश्विक स्तर पर मृत्यु का दूसरा कारण है (उच्च रक्तचाप के बाद) और वर्तमान में 10 वयस्कों में से एक को मारने के लिए जिम्मेदार है। वैश्विक प्रौढ़ तंबाकू सर्वेक्षण (जीएटीएस) 2009 -10 के मुताबिक भारत में 12 करोड़ तंबाकू उपभोक्ता हैं, जिसका मतलब है कि हर नौवां भारतीय तंबाकू का उपभोग करता है।
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