“हसदेव अरण्य”समिति का कल प्रदशर्न कोरबा में


कोरबा,23 (वेदांत समाचार) । छत्तीसगढ़ का हसदेव अरण्य (हसदेव जंगल) इन दिनों चर्चा में है. हसदेव अरण्य को बचाने प्रदेश के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों और विदेशों तक में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. मध्यभारत का फेफड़ा कहे जाने वाले इस जंगल को काटने के निर्णय से लोग न केवल चिंतित हैं, बल्कि आक्रोशित भी हैं. कोयला खनन के लिए हसदेव अरण्य के करीब 4.50 लाख पेड़ों को काटा जाना है.कल 24 मई 2022, सुबह 11:30, स्थान कलेक्टर कार्यालय के सामने मानव श्रृंखला का निर्माण करने जा रहे हैं।कल 24 मई 2022, सुबह 11:30, स्थान कलेक्टर कार्यालय के सामने मानव श्रृंखला का निर्माण करने जा रहे हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक, सरकार के इस निर्णय का पर्यावरण पर बेहद प्रतिकूल असर पड़ेगा. हसदेव के जंगल कटने से पेड़ों की 167 प्रजतियां खत्म हो जाएंगी. वहीं हाथी, भालू, तेंदुआ, भेड़िया, धारीदार लकड़बग्धा जैसे दर्जनभर से अधिक वन्य जीवों का रहवास खत्म हो जाएगा. इसके अलावा विलुप्तप्राय चिड़ियों, तितलियों और सरीसृपों की दर्जनों प्रजातियां भी विलुप्त हो जाएंगी.

हसदेव अरण्य को लेकर दो महत्वपूर्ण संस्थानों भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) की संयुक्त और अलग-अलग रिपोर्ट्स आई हैं. इन रिपोर्ट्स में हसदेव अरण्य के जंगल कटने और उसके विनाश से होने वाले गंभीर परिणामों को लेकर सचेत किया गया है.