जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवादियों ने पर्चा जारी कर डिजिटल रूप में जनगणना होने का विरोध किया है। माओवादियों ने कहा कि, हम मूलवासी हैं, हिंदू नहीं। देश से मूलवासियों की पहचान खत्म की जा रही है। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने असम से घोषणा की है कि साल 2024 तक जनगणना पूरी तरह डिजिटल कर दी जाएगी। माओवादी पार्टी इस फैसले का विरोध करती है।
दरअसल, माओवादियों के मध्य रीजनल ब्यूरो के प्रवक्ता प्रताप ने पर्चा जारी किया है। प्रताप ने कहा कि देश की आबादी में 8.4 प्रतिशत मूलवासी हैं। लेकिन, भारत सरकार इन्हें मूलवासियों के रूप में पहचानने के लिए तैयार नहीं है। प्रताप ने कहा कि RSS मूलवासियों की पहचान को मिटाने के लिए वनवासी के रूप में चिन्हित करते हैं।
ब्रिटिशकाल में इस देश की मूलवासी जनता का धर्म प्राकृतिक धर्म के रूप में पहचान गया था और जनगणना में उसी नाम से दर्ज भी किया गया था। लेकिन आजादी के बाद से जनगणना में तमाम मूलवासियों को हिंदू के रूप में ही पहचाना जा रहा है। यह भारत सरकार का षड्यंत्र है, जिसका माओवादी पार्टी विरोध करती है।
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