छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के जंगलों से मिलने वाली बेशकीमती ड्राईफ्रूट चिरोंजी के ज्यादातर पेड़ अवैध कटाई और आग की भेंट चढ़ जाने से गरीब तबके के वनोपज संग्राहक काफी मायूस हो गए हैं। पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने रविवार को कहा कि जशपुर वन मंडल में अवैध कटाई और जंगलों में आग की लगातार घटनाओं से इस वर्ष गरीब परिवार के लोगों के जीवनयापन का सबसे बड़ा सहारा चिरोंजी की फसल पर सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ा है।
भगत ने कहा कि जंगलों से वनोपज एकत्रित करने वाले गरीब परिवार के लोग चिरोंजी वनोपज को बड़े व्यापारियों के पास बेचने के बाद यहां के जंगलों से संग्रहण की गई सैकड़ों क्विंटल चिरोंजी की फसल को देश के महानगरों के साथ विदेशों में भी निर्यात किया जाता है। लेकिन इन दिनों जशपुर वन मंडल के जंगलों में चिरोंजी के पेड़ आग की लपटों से बर्बाद हो गए हैं, जिसने वनोपज संग्रहण करने वाले हजारों गरीबों को मायूस कर दिया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय बाजार में एक हजार रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक भाव पर बिकने वाली चिरोंजी को स्थानीय व्यापारी हाथों हाथ खरीद लेने के चलते ग्रामीणों को इस फसल का बेकरारी से इंतजार रहता है।
अवैध कटाई से हो रहा भारी नुकसान
भगत ने कहा कि अपने आसपास के जंगलों से इस वनोपज को संग्रहण कर प्रत्येक गरीब परिवार का सदस्य 30 से 40 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी कर लेता था। उन्होंने कहा कि दरअसल जशपुर वन मंडल के जंगलों में लगातार अवैध कटाई से 2 लाख हेक्टेयर में फैली हरियाली का रकबा आधा से भी कम हो गया है। उन्होंने कहा कि यहां के जंगलों में गर्मी के मौसम में भीषण आग पर काबू नहीं पाने से चिरोंजी, महुआ, तेन्दू वनोपज के पेडों को काफी नुकसान पहुंचाने के अलावा जंगलों में अवैध कटाई से जंगलों को काफी नुकसान पहुंचा है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि पत्थलगांव, कुनकुरी क्षेत्र के सागौन जंगलों के अलावा बादलखोल अभ्यारण्य और कैलाश गुफा की पहाड़ियों पर हरे भरे पेडों की अवैध कटाई से इन जंगलों में चिरोंजी के पेड़ लुप्त हो गये हैं, जिसने वनोपज संग्राहकों की चिंता बढ़ाई है।
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