कोरबा। मार्शल आर्ट्स आत्मरक्षा की एक विधि है, जिसमें सांस पर नियंत्रण, अनुशासन तथा एकाग्रता ने पाई गई उच्च दर्जे की ऊर्जा की बदौलत व्यक्ति शस्त्रों से मुकाबला करने में सक्षम हो जाता है। आज जैसे-जैसे समाज में अपराध और उससे उपजी असुरक्षा बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे मार्शल आर्ट्स के प्रति लोगों का रुझान बढ़ता जा रहा है। कुछ लोग आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट्स सीख रहे हैं, कुछ हॉबी के तौर पर, तो कुछ रोजगार के तौर पर।
मार्शल आर्ट्स में सर्टिफिकेट होने पर सशस्त्र सेनाओं, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों में नियुक्ति में वरीयता मिलती है। वैसे भी आज देश में मार्शल आर्ट्स में प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ती जा रही है। इससे इस क्षेत्र में करियर बनाने की उजली संभावनाएं हैं। ओलिंपिक्स खेलों में कई तरह के मार्शल आर्ट खेल शुमार हैं। इन्ही में से एक है ताइक्वांडो। इस खेल को 1988 में सियोल ओलिंपिक के साथ ही खेलों के महाकुंभ में शामिल किया गया था। मूल रूप से यह कोरियाई मार्शल आर्ट है. इस खेल में अधिकतर किक (पैर से प्रहार) पर जोर दिया जाता है।
ताइक्वांडो कला एक कोरियाई मार्शल कला है ।इस खेल में दो खिलाडी एक दूसरे को अपनी लात का प्रयोग करके लड़ते हैं। खिलाड़ी को जहां सामने वाले प्रहार करके खिलाड़ी को मैट से बाहर ले जाने या जमीन पर गिराने की कोशिश की जाती है। इसमें सिर तक की किक, कूदकर घुमते हुए मारने वाली किक और तेज तरार किक का प्रयोग होता है। ताईक्वांडो को बालिकाएं और युवतियां खेल के साथ आत्मरक्षा के मजबूत विकल्प के रूप में पसंद कर रही हैं। ताइक्वांडो कराटे का एक अलग रूप है जिसमें हाथों के स्थान पर पैरों की किक का ज्यादा प्रयोग किया जाता है। आत्मरक्षा के लिए बेटियों के लिए ताइक्वांडो बहुत फायदेमंद है। बालिकाओं में इस कला को सीखने को लेकर उत्साह भी है।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में वर्ल्ड एथलेटिक्स डे के अवसर पर विद्यार्थियों ने सर्वप्रथम पूरी ऊर्जा और जोश के साथ 100 मीटर एवं 200 मीटर की दौड़ लगाई तत्पश्चात विद्यालय में संचालित समर कैंप में नवनियुक्त प्रशिक्षका ने विद्यार्थियों से अवगत कराया । आत्मरक्षा के इस प्रशिक्षण में लड़के एवं लड़कियों ने समान रूचि ली । बारी-बारी से विद्यार्थियों को कतारबध्द विभिन्न स्टेप्स की प्रेक्टिस कराई गई । विद्यार्थियों को पंच एवं किक बॉक्सिंग करने का तरीका बताया गया । सभी विद्यार्थी जोर आजमाइश करते दिखे। विद्यार्थियों को डाऊन डिप्स भी करवाया गया। सभी विद्यार्थी कराटे एवं ताइक्वांडो की बेसिक सीखकर प्रफुल्लित हुए। प्रशिक्षक ने बताया कि जितना ज्यादा हमारा किक ऊपर जाएगा हम अपनी रक्षा उतना बेहतर कर पाएँगें। विद्यार्थियों को सर्वप्रथम वार्म-अप करवाया गया फिर बैक किक, पुश-अप्स, सिट-अप, लेग-लिफ्ट और रिवर्स पुश करवाया गया। सभी विद्यार्थियों को बॉडी को अच्छी तरह स्ट्रेच करना सिखाया गया । कराटे के विभिन्न सिध्दांतों को समझाया गया। लगातार विभिन्न कराटे के विभिन्न स्टेप्स कर विद्यार्थी ताइक्वांडो और कराटे के विभिन्न गुणों से अवगत हुए। सेल्फ डिफेंस के प्रशिक्षण विद्यार्थियों का निरंतर विद्यालय में प्रदान किया जाएगा।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि मार्शल आर्ट है जो बिना किसी हथियार के कभी भी, कहीं भी हाथों और पैरों से हमला करता है या बचाव करता है, और शारीरिक प्रशिक्षण का उद्देश्य महत्वपूर्ण है, लेकिन मानसिक आयुध के माध्यम से सही दिमाग को बढ़ावा देने में भी इसका बहुत महत्व है। इसमें प्रशिक्षिका ने बालिकाओं को आत्मरक्षा के लिए विभिन्न बारीकियों की जानकारी दी। इसके साथ ही प्रशिक्षणार्थियों को खेल के बेसिक अभ्यास, आत्मरक्षा के गुर, बचाव के तरीके, आधुनिक तकनीक योग के साथ-साथ योग की बारीकियों की जानकारी दी। इस मौके पर प्रशिक्षणार्थियों का आह्वान किया गया कि वह ताइक्वांडो का नियमित अभ्यास जारी रखें। साथ ही इस खेल के महत्व के प्रति अपने आसपास की बालिकाओं को भी जागरूक करें। इस मौके पर विद्यालय परिवार के प्रधानाचार्य, शिक्षक, कर्मचारी व अनेक अभिभावक मौजूद थे।
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