केंद्र सरकार ने देशद्रोह कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि इसकी समीक्षा होने तक गंभीर अपराधों में लोगों को इसके तहत आरोपी बनाए जाने से नहीं रोका जा सकता। केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि गंभीर अपराध करने वाले को इसके दायरे से बाहर रखना ठीक नहीं होगा। दरअसल केंद्र सरकार ने मंगलवार को अदालत में इस कानून की समीक्षा की बात कही थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या कानून की समीक्षा होने तक इसे होल्ड रखा जाएगा और नए मामले इसे तहत दर्ज नहीं होंगे? इस पर केंद्र सरकार ने जवाब देते हुए कहा है, ‘कानून की समीक्षा होने तक संज्ञेय अपराध के मामलों में देशद्रोह के तहत केस दर्ज होने को रोका नहीं जा सकता है। ऐसा करना गलत होगा।’
वरिष्ठ अधिकारी की मंजूरी पर ही दर्ज होगा केस
हालांकि केंद्र सरकार ने ऐसे मामलों को वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा संस्तुति दिए जाने पर ही दर्ज किए जाने की बात कही है। केंद्र सरकार ने कहा कि देशद्रोह के मामलों में स्क्रूटनी के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी होगा और उसकी रिपोर्ट न्यायिक कार्रवाई के लिए जरूरी होगी।’
केंद्र ने कहा, इस कानून पर अभी से रोक लगाना सही नहीं
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने कहा कि फिलहाल देशद्रोह कानून पर रोक लगाने का फैसला देना गलत होगा, जिसे संवैधानिक बेंच ने भी बरकरार रखने की बात कही थी। केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अदालत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जहां तक लंबित मामलों की बात है तो उनमें से हर मामले की गंभीरता के बारे में हमें मालूम नहीं है। इनमें से कुछ मामलों में टेरर ऐंगल हो सकता है, जबकि किसी केस में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला हो सकता है। लंबित मामलों अदालतों के समक्ष विचाराधीन हैं और हमें उनकी प्रक्रिया पर भरोसा करना चाहिए।
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