बर्लिन । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि विश्व जब भी संकटों का सामना करता है, भारत समाधान के साथ आगे आता है। सोमवार की रात जर्मनी के बर्लिन में भारतवंशियों को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि आज न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन के मंत्र पर चलना जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की प्रगति तभी संभव है जब उस राष्ट्र के लोग उसके विकास के लिए एकजुट होकर काम करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे सरकारी दखल कम से कम कर रहे हैं ताकि नये भारत को दिशा देने का अवसर देशवासियों को मिले। प्रधानमंत्री कल तीन यूरोपीय देशों की यात्रा के पहले चरण में जर्मनी पहुंचे थे।
भारतीय समुदाय को संबेाधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि सुधार के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति जरूरी है। उन्होंने कहा कि आठ वर्ष पहले दो सौ से चार सौ स्टार्टअप उद्यम थे जबकि आज यह संख्या 68 हजार तक पहुंच गई है। आज भारत में न केवल अनेक यूनिकॉर्न हैं बल्कि उनको डेकाकॉर्न में भी बदला जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अप्रैल महीने में रिकॉर्ड एक लाख 68 हजार करोड रूपये का जी एस टी संग्रह हुआ है जो एक राष्ट्र- एक कर की क्षमता दर्शाता है। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों को बढावा देने के लिए भारत का वोकल फोर लोकल अभियान स्वतंत्रता संग्राम के दौरान के स्वदेशी आंदोलन की याद दिलाता है।
दिन में प्रधानमंत्री ने जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज के साथ बर्लिन में व्यापार वार्ता की सहअध्यक्षता की। प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के व्यापक सुधारों पर जोर दिया और उद्योग जगत को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया। वार्ता में जलवायु सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला, अनुसंधान और विकास पर व्यापक विचार विमर्श हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी और जर्मनी चांसलर ओलाफ शॉल्ज ने भारत जर्मनी अंतर सरकारी परामर्श की भी सह अध्यक्षता की। इस द्विवार्षिक संवाद मंच मे दोनों देशों के कई मंत्री भी शामिल हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने द्विपक्षीय विषयों पर भी चांसलर शॉल्ज से विचार विमर्श किया। व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को बढावा देने पर विशेष जोर दिया गया।
बैठक के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में श्री मोदी ने कहा कि साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और साझा हितों के आधार पर दोनों देशों के संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। यूक्रेन संकट पर श्री मोदी ने कहा कि भारत शुरू से ही संघर्षविराम पर जोर देता रहा है क्योंकि उसका मानना है कि आपसी बातचीत से ही इस संकट का समाधान हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में कोई भी पक्ष विजय नहीं होगा, बल्कि मानवता को संकटों का सामना करना पडेगा।
श्री मोदी ने कहा कि अंतर सरकारी परामर्श से दोनों देशों की साझेदारी को नई दिशा मिली है। जर्मनी ने भारत के हरित लक्ष्यों में सहयोग देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
जर्मनी के चांसलर ने प्रधानमंत्री मोदी को जर्मनी में होने वाले जी-सात शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया। उनहोंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन वार्ताओं में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विश्व का विकास तभी संभव है जब उसके संबंध केवल कुछ शक्तिशाली देशों से नहीं बल्कि अनेक देशों से हों।
प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर शॉल्ज ने हरित और सतत विकास साझेदारी के संयुक्त आशय घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये। जर्मनी ने सतत विकास और जलवायु सहयोग के लिये वर्ष 2030 तक दस अरब यूरो की अतिरिक्त विकास सहायता की अग्रिम प्रतिबद्धता व्यक्त की। मंत्रिस्तरीय द्विपक्षीय बैठकों के दौरान कई समझौतों को अंतिम रूप दिया गया।
अंतर सरकारी परामर्श के बाद संयुक्त वक्तव्य में दोनों देशों ने सभी देशों की क्षेत्रीय अखण्डता और सम्प्रभुता के प्रति सम्मान और संयुक्त राष्ट्र के साथ नियम आधारित प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के महत्व पर बल दिया। उन्होंने भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करने का संकल्प दोहराया।
दोनों नेताओं ने कोविड महामारी के बाद आर्थिक बहाली और जलवायु परिवर्तन रोकथाम की प्रतिबद्धता व्यक्त की तथा वैश्विक औसत तापमान में बढ़ोतरी दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने पर बल दिया। दोनो देशों ने भारत और यूरोपीय संघ के बीच कार्यनीतिक सहयोग बढने का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में आतंकवादी हमलों और मानवाधिकार उल्लंघनों पर चिंता व्यक्त की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जर्मनी यात्रा के बाद डेनमार्क के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर आज कोपनहेगन जाएंगे। यह डेनमार्क की उनकी पहली यात्रा होगी। दोनों नेताओं के बीच बातचीत में वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी। श्री मोदी भारत डेनमार्क- व्यापार फोरम में भाग लेंगे और वहां भारतीय समुदाय से भी मिलेंगे।
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