करतला : राजस्व मंत्री के जिले में हो रही राजस्व की क्षति प्रशासन ने साधी चुप्पी उठ रहे कई सवाल

कोरबा/करतला ,29 अप्रैल (वेदांत समाचार)। छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री के जिले में ही लाखों के राजस्व का चूना लग रहा है, इसका कारण है प्रशासन की चुप्पी जिसे ठेकेदारों पर दरियादिली कहा जाए या कुछ और। आये दिन खबर मिल रहा है कि शासकीय कार्यों ठेकेदारों द्वारा चोरी के मुरुम का उपयोग किया जा रहा है। ठेकेदार बिना अनुमति के कहीं से भी जेसीबी लगाकर मिट्टी, मुरुम खोदकर उपयोग कर रहे हैं उसके बावजूद प्रशासन अपनी आंख मूंदकर बैठा है। मुरुम,मिट्टी गौड़ खनिज के अंतर्गत आते हैं जिनके उत्खनन व परिवहन के लिए खनिज विभाग से अनुमति की आवश्यकता होती है जिसके लिए गौड़ खनिज के अंतर्गत रॉयल्टी लगता है जिससे बचने के लिए व मोटी कमाई के चक्कर मे ठेका कंपनी बिना अनुमति ही मुरुम की चोरी करके सड़क बनाते हैं। जिले में लगातार हो रहे अवैध मुरुम,मिट्टी उत्खनन और परिवहन पर जिला प्रशासन ने चुप्पी साधी है जिससे ठेकेदार के हौसले बुलंद है। और वो शासन को लाखों के राजस्व का चूना लगा रहे हैं।


मामला है सक्ति कोरबा मार्ग पर चल रहे सड़क निर्माण का जिसमे लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण में बासीनपाठ से भैसमा तक 17.9 किलोमीटर की सड़क बननी है जिसमे हजारों ट्रिप मुरुम यूं ही बिना अनुमति के कहीं भी से निकलकर डाला जा रहा है और जो पैसा शासन के खाते में जनकल्याण के लिए जाना था वो ठेकेदार की जेब मे जा रहा है और ठेकेदार दूध के साथ मलाई भी पाकर मस्त है और प्रशासन आंखे बंदकर सोने में व्यस्त है क्योंकि ठेकेदारों के द्वारा रात दिन कई स्थानों पर जेसीबी लगाकर मुरुम खोदकर ट्रैक्टरों के माध्यम से सड़क निर्माण के लिए उपयोग किया जा रहा है। सुपातराई एवं के पास 4 जेसीबी अलग अलग स्थानों पर लगाकर मुरुम खोदकर लगभग 16 से 20 ट्रैक्टर में परिवहन कर सड़क किनारे मुरुम डाला जा रहा है और गौड़ खनिज के अंतर्गत लाखों का जो राजस्व शासन के खाते में जाना था वो अब ठेकेदार ने मार लिया। बासीनपाठ से भैसमा तक के सड़क निर्माण की सतत रूप से लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों को लगातार निरीक्षण करना है। लेकिन सड़क निर्माण का कार्य केवल कागज पर ही एक नम्बर तरीके से हो रहा है बाकी मौके पर न कोई अधिकारी होते हैं ना इंजीनियर और न सुपरवाईज़र और कार्य चोरी के मुरुम पर चल रहा है। अवैध काम मे लगे ठेकेदारों व मुरुम चोरी के लगे जेसीबी व ट्रैक्टरों के मालिकों पर प्रशासन की ऐसी दरियादिली समझ से परे है।

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