कोरबा,27अप्रैल (वेदांत समाचार)। वेदांता समूह की भारत एल्युमिनियम कंपनी (BALCO) जल्द ही अपनी उत्पादन क्षमता दोगुनी कर लेगी। बालको विनिवेश के बाद यह तीसरा बड़ा विस्तार प्लांट का होने जा रहा है। 7500 करोड़ की लागत से यहां 5.10 लाख टन सालाना क्षमता का स्मेल्टर बनेगा। इसके लिए जनवरी 2021 में पर्यावरणीय जन सुनवाई की गई थी। अब केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने भी अनुमति दे दी है। इस स्मेल्टर के बनने से 2000 से ज्यादा लोगों को नौकरी मिलेगी। प्लांट में आउट सोर्स से कराए जाने वाले काम में भी 6000 लोग लगेंगे। 9 साल पहले एचटीपीएस पावर प्लांट की 500 मेगावाट इकाई के स्थापना बाद उर्जानगरी कोरबा में बनने वाला यह पहला बड़ा कारखाना होगा।
इसके साथ ही एल्युमिनियम आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए एल्युमिनियम पार्क बनने की संभावना भी बढ़ गई है। बालको अभी सालाना 5.75 लाख टन एल्युमिनियम बनाता है, जो इस स्मेल्टर के बनने के बाद बढ़कर 10.85 लाख टन हो जाएगा। बालको की इस स्मेल्टर की योजना तो करीब 6 वर्ष पुरानी है। इसमें तेजी तब आई जब वेदांता समूह ने यहां सीईओ के रूप में अभिजीत पति की नियुक्ति की। उन्हें एल्युमिनियम प्लांट स्थापना व संचालन का लंबा अनुभव है। देश के इस सबसे बड़े एल्युमिनियम उत्पादक कारखाने की सालाना क्षमता 13 लाख टन की है। इस संबंध में जब आज हमने बालको के अधिकारियों से संपर्क कर जानकारी चाही तब उन्होंने अनुमति मिलने की पुष्टि तो की लेकिन अधिक जानकारी देने से बचते रहे। सूत्रों के अनुसार जल्द ही नए स्मेल्टर की आधारशिला रखी जाएगी। संभावना है कि वेदांता प्रमुख अनिल अग्रवाल रायपुर में सीएम भूपेश बघेल से मुलाकात करने के बाद इसकी घोषणा करेंगे।
एल्युमिनियम उद्योग के क्षेत्र में चीन की एल्युमिनियम विशेषज्ञ कंपनी गुयांग एल्युमिनियम एंड मैग्निशियम डिजाइन इंस्टीट्यूट कंपनी लिमिटेड (गामी) का विशिष्ट स्थान है। इसी कंपनी से बालको नए स्मेल्टर निर्माण का अनुबंध किया है। डीपीआर भी इसी कंपनी ने बनाई और अब प्लांट भी यही बनाएगी।
बालको में 540 व 1200 मेगावाट का पावर प्लांट चालू है, वहीं पुराने 270 मेगावाट बीसीपीपी प्लांट को आउट डेटेड होने से बंद कर दिया है। प्लांट विस्तार के बाद भी बालको के पास अपनी खुद की पर्याप्त बिजली है। इस प्लांट के लिए 2400 घनमीटर प्रतिदिन पानी की जरूरत हसदेव नदी से पूरी होगी।
बालको के पास अभी मेनपाट और कवर्धा में बाक्साइट की खदानें हैं, लेकिन यहां बाक्साइट से एल्यूमिना पाउडर बनाने वाली रिफाइनरी नहीं बनाई गई है। ऐसे में यहां का बाक्साइट समूह की ही लांजीगढ़ ओड़िशा रिफाइनरी भेजा जाता है। प्लांट 10 लाख टन से अधिक का बनने के बाद बाक्साइट की जरूरत भी होगी। यदि बाक्साइट से एल्युमिना बने तो करीब 40 लाख टन बाक्साइट व एल्युमीनियम बनाने कोई 22 लाख टन एल्युमिना पाउडर चाहिए।
विनिवेश के बाद पूर्व का एक लाख टन का स्मेल्टर व 2 लाख टन की एल्युमिना रिफाइनरी आउट डेटेड होने से डिस्मेंटल कर दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा बालको के इस विस्तार के लिए हमें अतिरिक्त जमीन की जरूरत नहीं है। अभी यहां स्मेल्टर 3 बना उसके व पुराने स्मेल्टर के बीच की 98 एकड़ जमीन इसके लिए चिह्नांकित की है। वहीं नए स्मेल्टर के लिए जरूरी बिजली भी हमारे प्लांट-2 व 3 से मिल जाएगी।
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