संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आम सहमति से एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसके तहत सुरक्षा परिषद के किसी स्थायी सदस्य द्वारा वीटो किए जाने पर 193 सदस्यीय निकाय को बैठक करने की जरूरत होगी. भारत ने मंगलवार को इस पर ‘खेद’ व्यक्त किया और कहा कि प्रस्ताव को पेश करने में समावेशिता की कमी रही. भारत ने कहा कि इस तरह के ‘इसे लें या इसे छोड़ दें पहल’ के बारे में उसकी ‘गंभीर चिंताएं’ हैं, जिसमें व्यापक सदस्यता की चिंताओं को ध्यान में नहीं रखा जाता.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने किसी भी स्थायी सदस्य – अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा ‘सुरक्षा परिषद में एक वीटो डाले जाने पर महासभा बहस के लिए स्थायी जनादेश’ संकल्प को मतदान के बिना आम सहमति से अपनाया.
लिकटेंस्टीन द्वारा अमेरिका सहित 70 से अधिक सह-प्रायोजकों के साथ पेश किया गया संकल्प कहता है कि महासभा के अध्यक्ष सुरक्षा परिषद के एक या इससे अधिक स्थायी सदस्यों द्वारा वीटो डाले जाने के 10 कार्य दिवसों के भीतर महासभा की औपचारिक बैठक बुलाएंगे.
वोट की व्याख्या में संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने कहा कि जिस तरह से प्रस्ताव रखा गया, उसमें ‘समावेशिता की कमी’ पर नई दिल्ली को खेद है. उन्होंने कहा, ‘हमें इस तरह की ‘इसे लें लो या छोड़ दो’ पहल के बारे में गंभीर चिंताएं हैं, जो व्यापक सदस्यता के दृष्टिकोण और चिंताओं को ध्यान में रखने के लिए वास्तविक प्रयास नहीं करती हैं.’
इस महीने की शुरुआत में, अमेरिका ने वर्षों से रूस द्वारा ‘अपने वीटो विशेषाधिकार का दुरुपयोग करने के शर्मनाक पैटर्न’ का हवाला देते हुए कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव को सह-प्रायोजित कर रहा है, जो सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्यों में से किसी एक द्वारा वीटो डाले जाने के बाद स्वत: महासभा की बैठक बुलाएगा.
फरवरी में, रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला शुरू किए जाने के ठीक एक दिन बाद अमेरिका प्रायोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव रूस के वीटो का इस्तेमाल करने के बाद पारित होने में विफल रहा था. इसमें यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस की निंदा की गई थी.
तथाकथित वीटो पहल पर भारत की ‘चिंता’ के क्षेत्रों को रेखांकित करते हुए रवींद्र ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के दो प्रमुख अंगों के बीच संबंधों पर गहरे दीर्घकालिक प्रभाव रखने वाला इस तरह का एक महत्वपूर्ण संकल्प कहीं अधिक गंभीर, गहन और समावेशी विचार-विमर्श की मांग करता है.
उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा में एकमात्र मुद्दे के रूप में वीटो लाकर, जिस पर शेष सदस्यता का कोई वास्तविक अधिकार नहीं है और यह कहकर कि इस मुद्दे का पहले निराकरण करने की आवश्यकता है, सुरक्षा परिषद सुधार के अन्य सभी महत्वपूर्ण मुद्दों से ऊपर, एक मुद्दे को अधिक महत्व दिया जा रहा है. इसलिए यह त्रुटिपूर्ण दृष्टिकोण एक विचलन है.” उन्होंने कहा कि वीटो का उपयोग करने का विशेषाधिकार केवल पांच सदस्य देशों को दिया गया है.
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