बच्चों में फैल रहा ये खतरनाक वायरस, लिवर पर करता है अटैक

नईदिल्ली | दुनिया भर में दर्जनों बच्चे इन दिनों एक रहस्यमय हेपेटाइटिस के प्रकोप से जूझ रहे हैं. इस बीमारी ने 17 बच्चों को इतना बीमार कर दिया है कि उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ गई है. मेडिकल एक्सपर्ट इस बीमारी से हैरान हैं और इसका कारण समझने की कोशिश कर रहे हैं.
लक्षण दिखते ही डॉक्टर को दिखाएं
रिपोर्ट के मुताबिक इस रहस्यमय बीमारी से एक बच्चे की मौत हो चुकी है. ऐसे में एक्सपर्ट ने कुछ लक्षण जारी करके पैरंट्स से उन पर ध्यान देने की अपील की है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर बच्चों में ये लक्षण दिखाई दें तो बिना देरी किए डॉक्टरों को दिखाएं, जिससे वक्त रहते बच्चे का इलाज हो सके.

इस बीमारी पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों का मानना है कि इस हेपेटाइटिस का संभावित कारण एडेनोवायरस है. यह एक सामान्य वायरस माना जाता है, जो फ्लू और गैस्ट्रो लक्षण पैदा करता है. इस वायरस का इलाज के बाद समाधान किया जा सकता है.
दस्त, उल्टी और पेट दर्द के लक्षण
युवाओं में जिगर की सूजन (हेपेटाइटिस) दुर्लभ होती है. हालांकि ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि एडेनोवायरस टाइप 41F बच्चों और युवाओं में हेपेटाइटिस करने के लिए जिम्मेदार हो सकता है. इस बीमारी से संक्रमित होने पर उन्हें दस्त, उल्टी, पेट दर्द और बुखार हो सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि एडेनोवायरस का शुरुआती टाइप 41F के जैसा है. इसका डेटा ब्लड सैंपल से लिया जा सकता है. वहीं वायरस के दूसरे टाइप नॉन- ब्लड सैंपल से जुटाए गए हैं. आंकड़ों से पता चला है कि 1-4 आयु वर्ग के बच्चों में एडेनोवायरस के मामलों में बढ़ोतरी हुई है.
एडेनोवायरस है बीमारी की जिम्मेदार
ब्रिटेन की हेल्थ सर्विस अथॉरिटी के डायरेक्टर डॉक्टर मीरा चंद ने बताया कि जांच में पता चला है कि बच्चों में अचानक शुरू होने वाले हेपेटाइटिस में यह वृद्धि एडेनोवायरस संक्रमण से जुड़ी हुई है. हालांकि हम दूसरे संभावित कारणों की भी जांच कर रहे हैं. फिर भी पैरंट्स को हेपेटाइटिस (पीलिया सहित) के लक्षणों के प्रति सतर्क रहना चाहिए. अगर उन्हें अपने बच्चों में ऐसा कोई भी लक्षण दिखता है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

हाथ धोने और सही से सांस लेने की प्रैक्टिस
उन्होंने कहा कि नियमित रूप से हाथ धोने और सही तरह से सांस लेने से एडेनोवायरस समेत कई दूसरी बीमारियों से बचा जा सकता है. अगर किसी बच्चे को उल्टी या दस्त का अनुभव होता है तो उन्हें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन से बचने के लिए उन्हें घर पर ही रहना चाहिए. जब तक ये लक्षण दिखने बंद न हो जाएं, तब तक उन्हें स्कूल नहीं जाना चाहिए.
ये हैं हेपेटाइटिस के लक्षण
– आंखों या त्वचा के सफेद हिस्से का पीला पड़ना (पीलिया)
– यूरिन में मोटापन आ जाना
– पीला, भूरे रंग का मल
– त्वचा में खुजली होना
– मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
– शरीर में बुखार बने रहना
– हर वक्त थका और बीमार महसूस करना
– भूख में कमी आना और पेट दर्द रहना

अब तक 169 बच्चे हुए प्रभावित
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले अक्टूबर से अब तक 12 देशों में कुल 169 बच्चों में हेपेटाइटिस का इलाज किया जा चुका है. मार्च के बाद से अकेले ब्रिटेन में ही इस वायरस के 114 मामले सामने आए हैं.

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