तीसरे विश्वयुद्ध : Ukraine को हथियार देने पर Russia की चेतावनी

रूस ने चेतावनी दी है कि तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा “वास्तविक” है. युद्धग्रसित यूक्रेन को और हथियार भेजने के मु्द्दे पर अमेरिका और सहयोगी देशों की मंगलवार को होने जा रही बैठक से पहले रूस ने यह चेतावनी दी है. रूस की तरफ से यूक्रेन पर हमले के कारण पश्चिमी देश यूक्रेन को हथियार भेज रहे हैं ताकि यूक्रेन रूसी सेना के सामने खड़े हो पाए. लेकिन पश्चिमी ताकतें इस मामले में और अधिक नहीं घुसना चाहती हैं क्योंकि इससे परमाणु ताकत से लैस रूस से झगड़े का खतरा बढ़ जाएगा.
रूस की न्यूज़ एजेंसी के माध्यम से रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पश्चिमी देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा वास्तविक है और यह गंभीर है. साथ ही उन्होंने शांतिवार्ता को लेकर यूक्रेन के रवैये की भी आलोचना की. लावरोव ने कहा, ” यह खतरा वास्तविक है, आप इसे कम नहीं आंक सकते.”

कई महीनों से राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों से भारी हथियारों की मांग कर रहे हैं, जिसमें गोला बारूद और फाइटर जेट्स शामिल हैं. उन्होंने जोर देकर कहा है कि अगर उनके पास और अधिक हथियार हों तो उनकी सेना युद्ध का रुख बदल सकती है.

यूक्रेन की मांग का अब असर होता दिख रहा है, कई नाटो देशों ने रूस की तरफ से विरोध के बावजूद यूक्रेन को भारी हथियार और उपकरण मुहैया करवाए हैं. सप्ताहंत पर कीव की अहम यात्रा में अमेरिकी रक्षा मंत्री ल्यॉड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने जेलेंस्की से मुलाकात की और यूक्रेन को $700 मिलियन की नई मदद की घोषणा की.

ऑस्टिन ने यूक्रेन के नेता से मिलने के बाद पत्रकारों ने कहा, “जीतने का पहला कदम होता है कि आप भरोसा करें कि आप जीत सकते हो. हमें भरोसा है कि हम जीत सकते हैं, ….वो जीत सकते हैं,…अगर उनके पास सही हथियार और सही मदद हो. “

अमेरिका के न्यौते पर 40 देश मंगलवार को जर्मनी में एक सुरक्षा सम्मेलन में शामिल होंगे, जिसमें यूक्रेन को और हथियार देने पर चर्चा की जाएगी. साथ ही युद्ध के पूरा होने पर देश की लंबे समय की सुरक्षा पर बात होगी.

इस सम्मेलन में यूरोपीय देश, ऑस्ट्रेलिया और जापान भी भी शामिल होंगे, जिन्हें डर है कि यूक्रेन में रूसी विजय से एक उदाहरण बनेगा जिससे चीन के सीमाई मंसूबों को बढ़ावा मिलेगा.

फिनलैंड और स्वीडन ….जो अभी तक पारंपरिक तौर से न्यूट्रल देश रहे हैं, वो अब यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद नाटो सदस्यता लेने पर विचार कर रहे हैं. उन्हें भी इस सम्मेलन में बुलाया गया है.

लेकिन कूटनीतिक भाग-दौड़ से दूर यू्क्रेन नागरिक युद्ध में मारे जा रहे हैं.