बच्चों को आदिवासी साहित्य संस्कृति और कला की दी जाए शिक्षा : अनुसुइया उइके

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का समापन गुरुवार को हुआ. इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राज्यपाल अनुसुइया उइके रहीं. कार्यक्रम में पहली बार देशभर के जनजातीय साहित्यकार, रचनाकार और कलाकार इकट्ठे हुए. समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय जनजातीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने की. आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए.

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह से कहा कि ‘जो जनजाति साहित्य के लिए सुझाव आए हैं. उनके लिए मंत्रालय में कुछ निर्णय लेकर लागू किया जाएं. यहां 33 प्रतिशत ट्राइबल हैं. केंद्रीय राज्यमंत्री भी छ्त्तीसगढ़ से आती हैं. इसलिए जनजाति साहित्य को महत्व मिलना चाहिए’. ट्राइबल विकास के लिए छत्तीसगढ़ का बजट देश के दूसरे राज्यों से डबल होना चाहिए. उइके ने आगे कहा कि ‘आदिवासियों की अपनी-अपनी संस्कृति साहित्य और कला है. यदि इन सभी को संग्रहित करके साहित्य, संस्कृति, कला को बच्चों को पढ़ाया जाए तो आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति को याद रखेगी. उसको आगे बढ़ाएगी ऐसा मुझे विश्वास है’.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल उइके ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से पिछले साल राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव आयोजित किया गया था. जिसकी चर्चा देश-विदेशों में भी हुई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुसार पूरे देश में जनजातियों के कल्याण के लिए कई कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं. उइके ने कहा कि इन तीन दिनों में यहां कई महत्वपूर्ण विषयों पर 107 शोधपत्रों का वाचन छत्तीसगढ़ के जनजाति साहित्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. यदि ये कार्यक्रम नहीं होते तो वे निश्चित रूप से देश के प्रख्यात साहित्यकारों, लोककलाकारों के बीच आकर उनसे संवाद करतीं’.

रायपुर में देशभर के जनजातीय हस्तशिल्प कलाकार

केंद्रीय जनजातीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने कहा कि ‘जनजातीय कला लोकसंस्कृति को समृद्ध करने की जरूरत है. इस तरह के महोत्सव के जरिए देशभर के जनजातीय हस्तशिल्प कलाकारों को बाजार उपलब्ध कराकर उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है. हम अभी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. इसके अंतर्गत देश की परंपरा, सभ्यता को सुरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन देशभर में किया जा रहा है. इस परंपरा और सभ्यता को सुरक्षित रखने के लिए हमें कड़ी मेहनत करने की जरूरत है. महोत्सव के दौरान पढ़े गए शोध पत्र निश्चय ही जनजातीय समाज और उनके विकास के काम आएंगे’.

आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि जनजातीय कला-चित्रकला और नृत्य महोत्सव का आयोजन जनजातीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अच्छा अवसर देता है. इस प्रकार के कार्यक्रम निश्चित रूप से जनजातीय साहित्य और साहित्यकारों का संरक्षण एवं संवर्धन करेंगे, साथ ही उन्हें प्रोत्साहित भी करेंगे.

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