प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल करना आसान नहीं, कई नेता हुए खिलाफ

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर जल्द कांग्रेस के साथ नई राजनीतिक पारी शुरू कर सकते हैं। इस पर एक सप्ताह में तस्वीर साफ हो जाएगी। लेकिन यह निर्णय लेना आसान नहीं है। पार्टी के अंदर असंतुष्ट नेताओं समेत बड़ा तबका प्रशांत किशोर को शामिल करने के खिलाफ हैं।

नेताओं का कहना है कि प्रशांत के काम करने का तरीका कांग्रेस के तौर-तरीकों से मेल नहीं खाता है। कई नेता उनकी दूसरी पार्टियों से संबंधों को लेकर भी सवाल उठाते रहे हैं। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रशांत पार्टी में शामिल होगें या नहीं, इस बारे में अंतिम निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष को करना है।

पार्टी नेतृत्व पर दबाव
पांच राज्यों में हार और और आगामी गुजरात-हिमाचल चुनाव को लेकर कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव बढ़ा है। इसीलिए कांग्रेस ने फिर प्रशांत किशोर से बातचीत शुरू की है। पार्टी उन्हें गुजरात तक सीमित रखना चाहती थी, पर प्रशांत चाहते हैं कि उन्हें 2024 चुनाव की भी जिम्मेदारी मिले। एक असंतुष्ट नेता ने कहा कि कांग्रेस को फिर से मजबूत करने की कोशिशों में सभी का स्वागत है पर पार्टी की अपनी विचारधारा-परंपरा है। इसलिए प्रशांत की भूमिका तय करते वक्त इसका ध्यान रखना होगा। वरना नुकसान हो सकता है।

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण 
कांग्रेस नेताओं को 2024 की रणनीति का खाका पेश करते हुए प्रशांत किशोर ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की दलील को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत की वजह सिर्फ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी भी इस दलील से सहमत दिखे।

नहीं बन पाई थी बात
गत वर्ष कुछ बिंदुओं पर सहमति न बन पाने की वजह से प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल नहीं हो सके थे। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रशांत चुनाव रणनीति तय करने में फ्री हैंड चाहते थे। इसलिए सहमति नहीं बन पाई थी। पर इस बार तस्वीर अलग है।