कोरबा/करतला 10 अप्रैल (वेदांत समाचार)। कोरबा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम बरीडीह के धनवार पारा में मनरेगा से निर्मित लगभग पौने 13 लाख रुपए के तालाब को राख से पटवा देने का मामला सामने लाया। जब यह खबर प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंची तो आनन-फानन में जिला पंचायत के सीईओ नूतन सिंह कंवर के द्वारा मौके पर निरीक्षण के लिए संयुक्त टीम भेजी गई। शनिवार को जिला पंचायत से परियोजना अधिकारी बीपी भारद्वाज, आरईएस के एसडीओ श्री साहू, उपयंत्री दिनेश कुमार साहू एवं कोरबा जनपद से करारोपण अधिकारी श्री चतुरानन ने मौका मुआयना किया तो यहां तालाब की शिलापट्टिका जरूर मिली लेकिन तालाब का नामोनिशान मिट चुका था।
धनवार पारा में वर्ष 2016-2017 में 12 लाख 82 हजार 700 रुपये खर्च कर यह तलाब खुदाई कराया गया था। सरपंच कृपाल सिंह और सचिव गजराज सिंह के द्वारा तथा रोजगार सहायक संतोष महंत की जानकारी में तालाब को राखमय कर दिया गया लेकिन नियमों की जानकारी के साथ प्रशासनिक महकमे का एक हिस्सा होने और जवाबदार पद पर होने के बाद भी न तो रोका गया और न ही अवगत कराया गया। ग्राम पंचायत द्वारा गैर जिम्मेदाराना कार्य किया गया जबकि तालाब का संरक्षण/संवर्धन की जवाबदारी उसी की है।
यह बात सामने आई कि गांव में 3-4 बड़े-बड़े डबरीनुमा गड्ढे थे जिन्हें हादसों के मद्देनजर पटवाने के लिए 29 जनवरी 2021 को ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कराया गया था। इसी आधार पर तत्कालीन एसडीएम सुनील नायक एवं क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल अधिकारी द्वारा पंचायत भवन के आसपास एवं धनवारपारा के गड्ढों को पाटने की अनुमति 17 जुलाई 2021 को दी गई थी। इस कथित अनुमति का अपने अनुसार दुरुपयोग किया जाकर ग्राम पंचायत ने तालाब को ही पटवा दिया। सरपंच-सचिव ने जानते हुए भी नियमों का उल्लंघन किया है वहीं रोजगार सहायक संतोष महंत ने भी अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा। अब यह भी जांच का विषय हो गया है कि इस तालाब में राख डलवाने के पीछे क्या कोई आर्थिक लाभ कमाने का मकसद भी था या कोई दबाव इसके पीछे काम कर रहा है?
नेतानुमा लोग सक्रिय,क्या दण्डात्मक अंजाम तक पहुँचेगी जांच
बता दें कि अब इस मामले में नेतानुमा लोग सारा कुछ रफा-दफा कराने के प्रयास में भी जुट गए हैं। यह कोशिश जिला मुख्यालय तक होने के प्रबल आसार हैं । वैसे प्रारंभिक जांच का प्रतिवेदन जिला पंचायत सीईओ को जांचकर्ता टीम के द्वारा सौंप दिया जाएगा। देखना है कि इस आधार पर कोई कार्रवाई होती है या फिर जांच का दायरा और बढ़ाया जाएगा? मनमानी तथा तालाबों के मामले में गाइडलाइन का उल्लंघन एवं मनरेगा निर्मित तालाब की दुर्गति करने वालों के विरुद्ध किस तरह का शिकंजा कसा जाएगा? तालाब की सूरत तो बिगाड़ दी गई है वहीं सरकार का लगभग 13 लाख रुपए भी इसमें लगाया जा चुका है, तो क्या इस तालाब को फिर से राख मुक्त कराया जाएगा? क्या सरपंच-सचिव से इसकी रिकवरी कराई जाएगी? क्या इन पर नियमों के तहत कोई दंड आरोपित होगा? क्या इनके विरुद्ध कहीं और राख पटवाने की अनुमति की आड़ में उसका दुरुपयोग करने के मामले में पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी? क्या रोजगार सहायक की भूमिका को इसमें संलिप्त मानकर उस पर कोई कार्यवाही होगी या फिर किसी दबाव में मामले को हल्की-फुल्की कार्यवाही करके सब कुछ रफा-दफा कर दिया जाएगा?
रिकवरी के मामलों में प्रशासन नरम दिल और उदासीन
वैसे यहां पर यह बताना लाजमी है कि पूर्व में चाहे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास निर्माण घोटाला का मामला हो या फिर शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में राशन की अफरा-तफरी/गबन का मामला, इन मामलों में रिकवरी की बात हो तो आज तक संबंधित सरपंच-सचिव, आवास मित्र के विरुद्ध सख्ती की बजाय नरम व उदासीन रवैया अपनाया जा रहा है। कई बार ध्यानाकर्षण कराने के बाद भी इनसे रिकवरी करने की बजाय मौके पर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा मौका दिया जा रहा है जबकि सरकारी धन को इन्होंने अपने स्तर पर दुरुपयोग कर लिया है। इन सभी मामलों को देखते हुए आशंका जताई जा सकती है कि कहीं उनकी तरह तालाब के इस मामले का भी हश्र अधर में न लटक जाए! मौजूदा अधिकारी नरमी बरतते हैं और बदल जाने के बाद आने वाला नया अधिकारी मामले को देखता हूं कहकर टालता जाता है
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