केंद्रीय मंत्रियों को कैसे अलॉट किए जाते हैं बंगले, क्‍या है इन्‍हें खाली कराने की पॉलिसी, जानें

पिछले एक हफ्ते में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के अंर्तगत आने वाले संपदा निदेशालय ने कई पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को उनके कार्यकाल के दौरान आवंटित किए बंगले खाली करवाए हैं। इनमें स्वर्गीय केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान को आवंटित किया गया बंगला 12 जनपथ भी शामिल है जो उनके बेटे और जमुई से सांसद चिराग पासवान से खाली कराया गया है। इसके अलावा बीजेपी के सांसद राम शंकर सिंह कठेरिया से 7 मोती लाल नेहरू मार्ग, पूर्व केंद्रीय मंत्री पीसी सारंगी से 10 पंडित पंत मार्ग और पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से 27 सफदरजंग रोड को खाली कराया गया है, जो अब नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को आवंटित किया गया है।

कैसे आवंटित होता है घर?

भारत सरकार की पूरे देश में स्थित सभी आवासीय संपत्तियों को संभालने और आवंटित करने की जिम्मेदारी संपदा निदेशालय के पास होती है। केंद्र सरकार के बंगलों का आवंटन जनरल पूल रेजिडेंशियल अकोमोडेशन (जीपीआरए) एक्ट के अंतर्गत किया जाता है। जीपीआरए में  संपदा निदेशालय दिल्ली समेत देश के 39 जगहों पर केंद्र सरकार की आवासीय संपतियों का प्रबंधन करता है।

सभी केंद्र सरकार के कर्मचारी इस जीपीआरए के तहत घर आवंटित करने की मांग कर सकते हैं। संपदा निदेशालय की ओर से घर का आवंटन कर्मचारी के वेतन, पद और अनुभव को देखकर दिया जाता है।

भारत में सरकार में केंद्रीय मंत्रियों को भी आवंटन संपदा निदेशालय की तरफ से दिया जाता है। लेकिन लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों की हाउस कमेटीयां भी सांसदों को बंगला आवंटन में अहम भूमिका निभाती है। संपदा निदेशालय के नियमों के मुताबिक केंद्र में मंत्रियों को भी टाइप VIII बंगला आवंटित किया जाता है। इस तरह के बंगले में सात कमरे, घरेलू सहायकों के लिए अलग से क्वार्टर बने होते हैं।

क्या है खाली करने का प्रोसेस?

सरकारी बंगलों को सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) अधिनियम, 1971 के तहत खाली कराया जाता है। निर्धारित अवधि के भीतर आवास नहीं खाली करने के पर आवंटन को रद्द कर दिया जाता है और इसके साथ बंगले से बेदखली की कार्यवाही भी शुरू कर दी जाती है। आमतौर पर किसी भी बंगले को खाली करने से पहले विभाग की तरफ से 30 दिन का नोटिस भी दिया जाता है।