हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है और चैत्र मास में इस बार दो अमावस्या होने के कारण कई लोग इस बार असमंजस की स्थिति में है कि आखिर किस अमावस्या को श्राद्ध करना है और किस तिथि को स्नान दान अमावस्या है। दरअसल चैत्र मास की अमावस्या तिथि गुरुवार 31 मार्च को दोपहर करीब 12.22 मिनट पर शुरू होगी और यह तिथि 1 अप्रैल शुक्रवार को सुबह करीब 11.54 बजे तक रहेगी, ऐसे में अमावस्या तिथि दोनों दिन मान्य होगी।
पितरों के लिए खास है चैत्र मास की अमावस्या
चैत्र माह की अमावस्या को धार्मिक ग्रंथों में त्योहार कहा गया है। यह तिथि पितरों की पूजा के लिए विशेष मानी जाती है, इसलिए इस दिन पितरों की विशेष पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक चैत्र मास की अमावस्या पर सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में आते हैं। इन दोनों ग्रहों के बीच का अंतर 0 डिग्री हो जाता है।
कब करें पूर्वजों का तर्पण
ज्योतिषियों का कहना है कि अमावस्या तिथि 31 मार्च गुरुवार दोपहर 12.22 मिनट के बाद शुरू होगी, जो 1 अप्रैल की सुबह करीब 11.54 बजे तक रहेगी। इसलिए 31 मार्च को पितरों की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण कार्य किया जा सकता है। इस दिन अमावस्या से संबंधित पूजा भी की जा सकती है। शुक्रवार, 1 अप्रैल, शुक्रवार को अमावस्या तिथि का सूर्योदय होने के कारण इस दिन पवित्र नदी में स्नान व दान करना उत्तम रहेगा। अगर किसी कारण से आप नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर में ही तीर्थ स्थान का जल डाल कर स्नान करें। इससे भी तीर्थ का फल मिलता है।
[metaslider id="347522"]