पल्लनवाला 29 मार्च (वेदांत समाचार)। सीमा पर घुसपैठियों और आतंकियों से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर के नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तैनात भारतीय सेना पहले से कहीं और ज्यादा मजबूत हो गई है। एलओसी में तैनात सैनिकों को फिनलैंड से मंगाई गईं नवीनतम राइफलें दी गईं हैं। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नवीनतम राइफल्स को सेना में शामिल किया गया है। वे अब इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। ये हैं फ़िनलैंड की साको .338 टीआरजी-42 (Sako TRG 42 rifles) राइफल।
अधिक जानकारी देते हुए सेना के अधिकारी ने कहा कि साको .338 टीआरजी-42 राइफल्स की बेहतर रेंज और अधिक मारक क्षमता। उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा पर सेना के स्नाइपर्स को नई राइफलों पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा कि यह कदम नियंत्रण रेखा पर परिचालन की गतिशीलता में बदलाव के बीच स्नाइपर्स को और अधिक घातक बनाने के लिए है। साथ ही कहा कि जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के साथ आगे के इलाकों में गश्त कर रहे सैनिकों के लिए स्निपिंग एक बड़ी चुनौती रही है।
हमलों के खिलाफ स्नाइपर्स को प्रशिक्षित करने के लिए किया गया प्रेरित
2018 और 2019 के बीच एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ तनाव बढ़ने के साथ ही घटनाओं की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। जिससे सशस्त्र बलों को बेहतर स्नाइपर राइफलों को शामिल करने और इस तरह के हमलों के खिलाफ अपने स्नाइपर्स को प्रशिक्षित करने के लिए प्रेरित किया गया है।
साको टीआरजी-42 (Sako TRG -42) एक बोल्ट-एक्शन राइफल है, जिसे फिनिश बंदूक निर्माता साको ने डिजाइन और विकसित किया है। राइफल को शक्तिशाली .338 लापुआ मैग्नम राउंड्स को फायर करने के लिए डिजाइन किया गया है। अधिकारी ने कहा कि बिना मैगज़ीन 5.5 किलोग्राम वजनी राइफल की प्रभावी रेंज 1,500 मीटर है। यह राइफल दुनियाभर में सबसे सटीक और भरोसेमंद हथियारों में से एक मानी जाती है।
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