बस परमिट जारी न करने का मामला फिर गरमाया, छत्‍तीसगढ़ में राज्यपाल और सीएम से हस्तक्षेप कर कार्रवाई की मांग

रायपुर 24 मार्च (वेदांत समाचार)  बस्तर के बस मालिकों की ओर से राजधानी रायपुर के अधिवक्ता शिवेष सिंह ने शासन से राज्य परिवहन अभिकरण के पारित आदेशों पर अब तक कोई कार्रवाई न होने का मामला उठाया है।उन्होंने राज्यपाल, मुख्य न्यायाधिपति, मुख्यमंत्री से मामले में हस्तक्षेप कर उत्पन्न संवैधानिक संकट को दूर करते हुए राज्य परिवहन अपीलीय अधिकरण के पारित आदेश के अनुरूप कार्रवाई करने की गुहार लगाई है।

अधिवक्ता शिवेष सिंह ने बताया कि न्यायालय राज्य परिवहन अपीलीय अधिकरण छत्तीसगढ़ के किसी भी आदेश का पालन न करते हुए राज्य में परिवहन विभाग में चुन-चुनकर अपने पसंदीदा लोगाें को परमिट जारी किया जा रहा है।इसकी शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने राज्य परिवहन अधिकरण में बस्तर के बस मालिकों की ओर से दायर याचिकाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि पीड़ित बस मालिक छत्तीसगढ़ राज्य के मूल निवासी हैं। राज्य परिवहन अपीलीय अधिकरण छत्तीसगढ़ में अनेकाें बस संचालकाें के अपील प्रकरण लंबित हैं वहीं अनेकाें अपील प्रकरणों में आदेश जारी किया चुका है।

अधिकरण ने अलग-अलग आदेश जारी कर क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार छत्तीसगढ़ रायपुर को समय के भीतर बस मालिकों को अनुज्ञा पत्र जारी करने का निर्देश दिया गया था। कई अपील में परमिट में समय परिवर्तन,स्टापेज वृद्वि और परमिट का नामांतरण स्वीकृत किया गया था, किंतु निर्धारित समय सीमा समाप्त होने के बाद भी न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है।

अधिवक्‍ता ने कहा है कि न्यायालय के आदेशों का पालन न होने से न केवल छत्तीसगढ़ राज्य में विधि का शासन समाप्त हो गया है बल्कि इससे आम बस संचालकाें को भारी आर्थिक,मानसिक अपूर्णीय क्षति पहुंच रही है। आम जनता भी बस की सेवा से वंचित है। इसके साथ ही परिवहन विभाग को भी करोड़ाें रूपये के राजस्व की क्षति पहुंच रही है।परिवहन विभाग में उत्पन्न संवैधानिक संकट और कुछ अधिकारियाें की मनमानी पर लगाम लगाना आवश्य है।अधिवक्ता शिवेष सिंह ने कहा है कि न्यायालय राज्य परिवहन अपीलीय अधिकरण के आदेश के अनुसार 30 दिवस के भीतर परमिट न देने के कारण कांकेर रोड़वेज रायपुर की ओर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष पेश याचिका और बस संचालक अनूप तिवारी की दायर याचिका में

उच्च न्यायालय की ओर 15 दिवस के भीतर न्यायालय राज्य परिवहन अपीलीय अधिकरण छत्तीसगढ़ के पारित आदेशों की भावना का अक्षरस:करने कहा गया है।इससे साफ है कि परिवहन विभाग के अधिकारियाें द्वारा न्यायालय राज्य परिवहन अपीलीय अधिकरण छत्तीसगढ़ के आदेशों का पालन नहीं करने के कारण ही बस संचालकाें को उच्च न्यायालय जाकर याचिका प्रस्तुत करने बाध्य होना पड़ रहा है। इससे आम जनता में सरकार की छवि धूमिल हो रही है।

इस कारण हठधर्मी अधिकारियाें के खिलाफ भी कार्रवाई करना विधि संगत होगा।बस संचालकों ने राज्यपाल, मुख्य न्यायाधिपति, मुख्यमंत्री से मामले में हस्तक्षेप कर उत्पन्न संवैधानिक संकट को दूर करते हुए राज्य परिवहन अपीलीय अधिकरण के पारित आदेश के अनुरूप कार्रवाई करने की गुहार लगाई है।