तृणमूल नेता की हत्या के बाद बंगाल में भड़की हिंसा में 10 की मौत

कोलकाता । बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट इलाके में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कब्जे वाली बरशल ग्राम पंचायत के उप प्रमुख भादु शेख की सोमवार शाम को हत्या के बाद भड़की हिंसा व आगजनी ने बड़ी घटना का रूप ले लिया है। हत्या से गुस्साए टीएमसी समर्थकों ने घटना के कुछ घंटे बाद ही हमले के संदिग्धों के घरों में आग लगा दी, जिसमें 10 लोगों की जलकर मौत की खबर है। पुलिस ने मौके से कई शव बरामद किए हैं। इस घटना से व्यापक तनाव का माहौल है। जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर हैं। तनाव को देखते हुए इलाके में बड़ी संख्या में अतिरिक्त पुलिस बलों की तैनाती की गई है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह राजनीतिक रंजिश का मामला है

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम के रामपुरहाट में टीएमसी नेता की हत्या के बाद मंगलवार को हिंसा भड़क गई। यहां भीड़ ने 10-12 घरों के दरवाजे को बंद कर आग लगा दी। आग से 10 लोगों की जलकर मौत हो गई। तृणमूल कांग्रेस के कब्जे वाली बरशल ग्राम पंचायत के उप प्रमुख भादु शेख सोमवार शाम को हत्या कर दी गई थी। उन पर बम से हमला हुआ था। भादू शेख की मौत की खबर जंगल में लगी आग की तरह फैली। हत्या से गुस्साए उनके समर्थकों ने थोड़ी ही देर में इस हमले के संदिग्धों के घरों में आग लगा दी। इधर, इस घटना के बाद राज्य के मंत्री फिरहाद हकीम के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस के तीन विधायकों का प्रतिनिधिमंडल हालात का जायजा लेने के लिए घटनास्थल पर जा रहा है। यह प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवारों से भी मुलाकात करेगा।

दूसरी ओर, राज्य में मुख्य विपक्षी भाजपा ने घटना की कड़ी निंदा की है और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है। प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बंगाल में कानून का शासन नहीं बल्कि शासक का कानून है। तृणमूल के गुंडों को कानून और शासन प्रशासन का कोई डर नहीं है इसीलिए इस प्रकार की घटना राज्य में हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रहा है। इधर इस घटना के बाद राज्य सचिवालय नवान्न में मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी समेत सभी शीर्ष अधिकारी बैठक कर रहे हैं

घटना की जांच के लिए राज्य सरकार ने गठित की एसआइटी: घटना की जांच के लिए राज्य सरकार ने एसआइटी का भी गठन कर दिया है। राज्य पुलिस के एडीजी (कानून व्यवस्था) ज्ञानवंत सिंह के नेतृत्व में तीन सदस्यीय एसआइटी का गठन किया गया है, जो पूरे मामले की जांच कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंप देगी।