कोरबा,17 मार्च (वेदांत समाचार)। भारत त्योहारों का देष है। जहाँ हर रंग के रंगों से सजी त्योहारों की खुषी, उल्लास और मौज से धरती सराबोर होती है। ऐसे में जब मास हो फागुन का तो धरती पर रंगों की छटा देखते ही बनती है। फागुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन में अपने समस्त बुराइयों का दहन करने के पष्चात अगले दिन सुबह से ही सृष्टि रंगीन चादर ओढ़े प्रतीत होती है। हर वर्ग के लोग इन रंगों में खो जाते हैं ंफिर चाहे वो बच्चा हो, युवा हो या 85 वर्ष का बूढ़ा हो। सबके चेहरे पर होली की खुषी और विषिष्ट व्यंजनों के स्वाद से चारों ओर उमंग का संचार होता है। ऐसे में धरती का कोई कोना ऐसा नहीं होता जो होली के सतरंगी रंग से न रंगा हो। होली समानता का प्रतीक है, जैसे प्रकृति किसी भी भेदभाव के बिना अपनी पवन,अपनी वर्षा, धूप, सब लोगो मे समान बांटती है। वैसे ही होली के रंग भी बिना किसी भेदभाव के खेलने वालों को समान रूप से एक जैसा रंग देता है । अबीर-गुलाल और रंग-बिरंग रंगों मे रंगकर सारे होली खेलने वाले एक जैसे रंग-बिरंगे बन जाते है और तब ऐसा प्रतीत होता है, की सारे भेद-भाव, ऊँच-नीच मिट गए हैं। इस तरह होली सब के एक समान होने का संदेष देती है। होली का सर्वाधिक उमंग बच्चों में होता है जो सुबह से ही अपने टोली में झूमते और रंग उड़ाते दिखाई देते हैं। बच्चों के ऐसे रंगीन माहौल से भला विद्यालय कैसे अछूता रह सकता है।
दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में होली के पावन अवसर पर तिलक एवं आषीर्वाद समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सभी बच्चों ने अपने प्राचार्य एवं षिक्षकों को तिलक लगाकर आषीर्वाद लिया एवं संकल्प लिया कि होली में स्वयं को, दूसरों को एवं प्रकृति को नुकसान पहुँचाए बिना होली की खुषियाँ बाटेंगे और दूसरों को भी ये समझाएंगे कि सावधानी से होली खेलें, केमिकल वाले रंगों का प्रयोग न करें। होली दिल की खुषी को जाहिर करता है, मन के भाव को व्यक्त करता है और दूसरों के प्रति आपका प्रेम व्यक्त करता है। इसलिए कीचड़ और रंगों से किसी को सराबोर कर स्वास्थ्य एवं पानी की बरबादी के स्थान पर तिलक लगाकर प्यार से एक-दूसरे को गले लगाकर होली का आनंद उठाएंगे।
इस कार्यक्रम में षिक्षकों ने सभी बच्चों को तिलक लगाकर आषीर्वाद दिया एवं समझाया कि वे होली में इस्तेमाल किए जाने वाले रंगों के प्रति सजग रहें। स्वयं भी केमिकल वाले रंगों का प्रयोग न करें और दूसरों को भी करने से रोकें होली खेलने के लिए प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें।इस कार्यक्रम में आयोजित फाग गायन प्रतियोगिता में संबोधित करते हुए विद्यालय के संगीत षिक्षक राजू कौशिक ने खूबसूरत फाग सुनाया। विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने सभी को होली की अग्रिम शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि होली रंगों का त्योहार है। इस त्योहार में हमें मन सें आपसी वैमनस्य को त्याग कर प्रेमपूर्वक लोगों को गले लगाना चाहिए।
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