दांडी यात्रा में अपने हक के लिए सविनय संघर्ष करने की सीख : डॉ. प्रशांत बोपापुरकर


0 नमक सत्याग्रह पर केएन कॉलेज में परिचर्चा।


कोरबा, 12 मार्च (वेदांत समाचार)। इतिहास हमें भविष्य की राह दिखाता है. इतिहास के सबसे महान व्यक्तित्व महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर अडिग रहकर चलने की सीख दी. आज अगर हमें अपने बच्चों को महान भविष्य की ओर ले जाना होगा, तो हमें स्वयं इसकी शुरुआत अपने घर से करनी होगी. घर-परिवार में बिताए जाने वाले क्षणों, छोटी-छोटी गतिविधियों से बच्चे हम बड़ों से ही सीखते हैं. इसलिए अगर उन्हें सच्चा बनाना है, तो हमें भी बेबाकी से सच बोलने की सीख जीवन में शामिल करने की जरूरत है. एक आजीवन शिक्षक होने के नाते अपने अधिकारों को जानना, उनके लिए निडर होकर लड़ना और शोषण के विरुद्ध मुखर होकर बोलने की ताकत अपने शिक्षार्थी से अवगत कराना हमारा दायित्व है.

यह बातें कमला नेहरू महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रशांत बोपापुरकर ने कॉलेज में दांडी यात्रा व नमक सत्याग्रह पर आयोजित एक परिचर्चा में प्राध्यापकों व छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहीं. महाविद्यालय में इतिहास विभाग की ओर से दांडी यात्रा दिवस पर एक परिचर्चा रखी गई थी. प्राचार्य डॉ. प्रशांत बोपापुरकर के मार्गदर्शन एवं इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुशीला कुजूर के संयोजन में आयोजित इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक-सहायक प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे. इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. सुशीला कुजूर ने बताया कि आजादी हासिल करने इतिहास में हुए विभिन्न आंदोलनों एवं उनका नेतृत्व करने वाले ऐतिहासिक महापुरुषों के महान कार्यों और संघर्षों के बारे में विद्यार्थियों को अवगत कराते हुए उन्हें उन सद्मार्गों पर चलने प्रेरित करने समय-समय पर कॉलेज की ओर से इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इसी कड़ी में 12 मार्च 1930 को ब्रिटिश सरकार की ओर से नमक जैसी मूलभूत जरूरत पर कर लगाने का सविनय विरोध करते हुए नमक कानून को तोड़ा गया, जिसे स्मरण करते हुए कमला नेहरू महाविद्यालय में यह कार्यक्रम रखा गया था. इस कार्यक्रम में इतिहास की प्रेरक बातें स्मरण करते हुए अंग्रेजी के प्राध्यापक बृजेश तिवारी ने बताया कि राष्टÑपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में यह यात्रा चंद लोगों से शुरू हुई, जो समाप्त हुई तो उस कारवां में करीब आठ हजार लोग जुड़ चुके थे. वरिष्ठ प्राध्यापक एवं भूगोल विभागाध्यक्ष अजय मिश्रा ने बताया कि इस आंदोलन के माध्यम से गांधी ने ब्रिटिश सरकार की उस सोच और गुरूर को चकनाचूर करते हुए देश को अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने और एक स्वच्छ संघर्ष के लिए डटे रहने का संदेश दिया. प्राणीशास्त्र की सहायक प्राध्यापक निधि सिंह ने बताया कि सविनय अवज्ञा आंदोलन के माध्यम से यही संदेश आज के युवाओं तक पहुंचाने के साथ अपने अधिकारों के प्रति जागरुक करने और शोषण के विरुद्ध निडर होकर संघर्ष करने प्रेरित किया गया. इस दौरान कॉलेज की वरिष्ठ प्राध्यापक एवं हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना सिंह, कंप्यूटर साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष एवं छात्रसंघ प्रभारी अनिल राठौर, प्राध्यापक डॉ. सुनील तिवारी, आशुतोष शर्मा, वनस्पतिशास्त्र की सहायक प्राध्यापक रेखा शर्मा, संगीत प्राध्यापक कुणाल दासगुप्ता, कुमकुम गुलहरे, प्रीति जायसवाल समेत छात्र-छात्राएं व अन्य प्राध्यापक-सहायक प्राध्यापक उपस्थित रहे.