भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था का प्रबंधन बहुत अच्छी तरह किया है, लेकिन वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि का असर.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने कहा कि भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था का प्रबंधन बहुत अच्छी तरह किया है, लेकिन वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि (Crude Oil price) का उसकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है. ‘यूक्रेन पर रूस के हमले और इसके वैश्विक प्रभाव’ विषय पर गुरुवार को मीडिया से बातचीत में आईएमएफ की पहली उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा कि इस युद्ध के कारण भारत समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं के समक्ष चुनौती आ खड़ी हुई है. गोपीनाथ ने कहा, ‘‘भारत की ऊर्जा आयात पर बहुत अधिक निर्भरता है और वैश्विक ऊर्जा कीमतें बढ़ रही हैं. इसका असर भारतीय लोगों की खरीद क्षमता पर पड़ रहा है. भारत में महंगाई करीब छह फीसदी है जो भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक महंगाई के लिहाज से ऊंचा स्तर है.’’
उन्होंने कहा कि इसका भारत की मौद्रिक नीति पर असर पड़ेगा और यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई हिस्सों के लिए चुनौती है. जॉर्जीवा ने कहा, ‘‘स्पष्ट रूप से अर्थव्यवस्था पर जिसका सबसे अधिक प्रभाव होगा वह है ऊर्जा कीमतें.’’ उन्होंने कहा कि भारत ऊर्जा का आयातक है और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि का उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. जॉर्जीवा ने कहा, ‘‘भारत अपनी अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करने में अच्छा रहा है.’’
मॉर्गन स्टेनली ने ग्रोथ का अनुमान घटाया
इन्हीं कारणों का हवाला देते हुए मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने महंगाई सबसे बड़ी चुनौती बन गई है. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण (Russia-Ukraine crisis) के कारण एनर्जी की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ गई. ब्रोकरेज ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत की वृद्धि दर (India GDP growth rate) के अनुमान को घटाकर 7.9 फीसदी कर दिया है.
क्रिसिल ने ग्रोथ को लेकर क्या कहा?
मॉर्गन स्टेनली के उलट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत का वृद्धि दर अनुमान 7.8 फीसदी पर बरकरार रखा है.रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने गुरुवार को कहा कि बुनियादी ढांचा खर्च पर सरकार के जोर और निजी पूंजीगत व्यय बढ़ने से 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.8 फीसदी रहेगी. रेटिंग एजेंसी ने हालांकि आगाह किया कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध और जिंसों की बढ़ती कीमतों की वजह से वृद्धि के नीचे जाने का जोखिम बन सकता है. 31 मार्च को समाप्त होने जा रहे चालू वित्त वर्ष में देश की वृद्धि दर 8.9 फीसदी रहने का अनुमान है.
[metaslider id="347522"]