0 राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत कमला नेहरु काॅलेज में तनाव प्रबंधन पर स्पर्श क्लीनिक की कार्यशाला आयोजित
कोरबा, 27 नवंबर (वेदांत समाचार)। हम सभी को जाने-अनजाने कदम-कदम पर छोटे-बड़े तनाव से गुजरना ही पड़ता है। इससे बचने के लिए सबसे सरल उपाय यही है कि आप स्वयं सदैव सरल बने रहिए। हर स्थिति में आत्मनियंत्रित रहना, सामने वाला गुस्से में हो पर आपका पोलाइट रहना, ये स्ट्रेस से दूरी के लिए बड़ा अहम मूलमंत्र है। आप सभी ने महसूस किया होगा कि कुछ लोगों की सूरत सदैव मुस्कुराती मिलती है, ऐसे स्माइलिंग फेस को देखने पर हमारे मुख पर यूं ही मुस्कान खिल जाती है। खासकर तनाव जैसे शब्द से दूर रहने वाले छोटे बच्चों की मासूम मुस्कान देख काफी सुकून महसूस होता है। उन्हें बार बार देखने का मन करता है। दूसरी ओर कुछ चेहरे हमेशा नाराज और रूखे दिखते हैं और ऐसे चेहरों को देखने का भी मन नहीं करता। इसलिए सरल और सहज बनें, मुस्कुराते रहें और अपने जीवन से तनाव को दूर रखें।
यह बातें बुधवार को कमला नेहरु महाविद्यालय में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत तनाव प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला में विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान करते हुए प्राचार्य डाॅ प्रशांत बोपापुरकर ने कहीं। महाविद्यालय के सभाकक्ष में जिला स्वास्थ्य विभाग कोरबा से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत संचालित स्पर्श क्लिनिक से आए विषय विशेषज्ञों ने छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों व कर्मियों को तनाव प्रबंधन पर काफी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की।
इस दौरान जिला मानसिक चिकित्सा परामर्शदाता
संजय तिवारी एवं ताराचंद श्रीवास ने मुख्य वक्ता की भूमिका निभाते हुए तनाव के कारणों, उसकी पहचान के लक्षणों और निवारण के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने विद्यार्थियों और प्राध्यापकों की जिज्ञासावश पूछे गए सवालों का जवाब देकर उनकी शंकाओं का समाधान भी किया। कार्यशाला में महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापकों, कर्मियों और विद्यार्थियों ने भाग लेकर अहम जानकारियां प्राप्त की।
गुस्से से लड़ने घर पहुंचे व्यक्ति को गुड़-पानी देना अचूक नुस्खा: संजय तिवारी
स्पर्श क्लिनिक के क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट संजय तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पहले गुस्से से लड़ने घर पहुंचे व्यक्ति को गुड़-पानी परोस देते थे। यह काफी प्रचलित व अचूक नुस्खा हुआ करता था। ऐसा करने पर लड़ने के मूड में आए व्यक्ति को पहले ही शांत कर देते। इसी तरह समस्या का समाधान निकालें
व्यायाम करें, अनुलोम विलोम करें और यह सब आपके मन-मस्तिष्क को शांति प्रदान करेगा। जब कभी मन बेचैन हो जाए, खुद पर या दूसरों पर गुस्सा आए तो एक पल शांत होकर जरुर विचार करें। खुद से तर्क करें और फिर आप समझ जाएंगे कि आवेश में आप जो करने जा रहे थे, वह उचित नहीं।
मोबाइल गेम वाले बच्चों में दिक्कतें आम, एक गिलास पानी पीजिए, नशा नहीं
अब तो छोटे बच्चों में भी तनाश देखने को मिलता है। खासकर मोबाइल या वीडियो गेम में घुसे रहने वाले बच्चों में यह शिकायतें आम होती जा रही हैं। श्री तिवारी ने कहा कि तनाव में एक गिलास पानी पीकर देखिए, मन हल्का महसूस होगा, पर टेंशन में नशे के प्याले की ओर कदम न बढ़ाएं, जिंदगी रोग बन जाएगी। अगर सबकुछ कर के देख लिया और तब भी परेशानी दूर न हुई तो फिर जिला अस्पताल में कमरा नंबर 112 में संपर्क करें, उपचार और राहत जरुर मिल जाएगी।
वक्त होने के बाद भी रात को नींद न आना भी तनाव का अलार्म है: ताराचंद श्रीवास
परामर्शदाता ताराचंद श्रीवास ने कहा कि ऐसी कई बातें हैं, जिनका हम दैनिक जीवन में सामना करते हैं। कई पल अच्छे होते हैं पर कई हमारे मन को तकलीफ भी देते हैं। पर अच्छे-बुरे पल हम सब की जिंदगी का हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि इंसोमेनिया यानि नींद न आना और हाइपोमेनिया यानि ज्यादा नींद आना। काम के दबाव में भी ऐसी समस्याएं हो सकती है। ऐसी स्थिति में आप तार्किक बनें। उदाहरण के लिए नींद आ रही हो तो ऐसा सोचें कि पांच मिनट और काम कर लेता हूं फिर सो जाऊंगा और फिर काम करने के धुन में नींद यूं ही भाग जाएगी। रात में सोने का वक्त हो गया है पर नींद न आना भी दिमागी तनाव का अलार्म है, बात बात में गुस्सा आना दूसरा अलार्म है। अगर कंट्रोल न करें तो बीपी और अन्य बीमारियों की शुरुआत होता है।
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