कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने केंद्र सरकार से यूक्रेन से लौटे छात्रों को भारत के विभिन्न सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश देने की मांग की है. उन्होंने इस संबंध में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को पत्र लिखा है. कांग्रेस नेता ने पत्र में कहा कि केंद्र सरकार देश और जनता के हित में सभी नियमों में ढील देकर युद्धग्रस्त यूक्रेन से लौटने वाले मेडिकल छात्रों को देश के विभिन्न निजी और सरकारी कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश देने के लिए विशेष योजना बनाए. उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार इन छात्रों की फीस भी अदा करे.
उन्होंने कहा कि इन छात्रों के परिवारों ने यूक्रेन के मेडिकल कॉलेज में अपने बच्चों के प्रवेश पर पहले ही काफी पैसा खर्च कर दिया है. कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ने कहा कि रूस के हमले में यूक्रेन में इन मेडिकल कॉलेज और संस्थानों का बुनियादी ढांचा पहले ही नष्ट हो चुका है, इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बावजूद युद्धविराम की कोई संभावना नहीं दिख रही है और इन छात्रों की पढ़ाई जारी रखने को लेकर संदेह है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि केंद्र इस संबंध में निर्णय लेगा और इन छात्रों के भविष्य को लेकर अनिश्चितताओं को दूर करेगा.
सभी छात्रों को उनकी सुविधा अनुसार एडमिशन दिलाया जाए- दिग्विजय
प्रधानमंत्री से निवेदन करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि भारत सरकार यूक्रेन में पढ़ रहे छात्रों की आशंका को दूर करते हुए जनहित में नियमों को शिथिल कर ‘यूक्रेन से वापस स्वदेशी मेडिकल स्टूडेंट्स प्रवेश योजना’ बनाई जाए और साथ ही एक अभियान चलाकर सभी छात्रों को उनकी सुविधा अनुसार एडमिशन दिलाया जाए. उन्होंने कहा कि 20 हजार से अधिक मेडिकल स्टूडेंट्स के सामने छाए अंधेरे को दूर करने के लिए नीतिगत निर्णय लिए जाने चाहिए.
भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए नहीं छोड़ेंगे कोई कसर- भारतीय राजदूत
यूक्रेन में भारत के राजदूत पार्थ सतपति ने शनिवार को कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन के सूमी शहर में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित स्वदेश वापसी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. उन्होंने इस कठिन समय में भारतीयों द्वारा प्रदर्शित किए गए अद्वितीय साहस की सराहना भी की. सतपति ने एक संदेश के रूप में ये टिप्पणी की, जो सूमी में फंसे भारतीय छात्रों द्वारा जारी एक वीडियो के बाद आई है. वीडियो में कहा गया था कि उन लोगों ने रूसी सीमा की ओर बढ़ने का फैसला किया है और अगर उनके साथ कोई हादसा होता है तो उसके लिए भारत सरकार और यूक्रेन का भारतीय दूतावास जिम्मेदार होगा.
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