कोरबा की धरती को नमन, यहीं से शुरू हुआ था कॅरियर का सुनहरा सफर : कलेक्टर श्रीमति रानू साहू

0 केएन कॉलेज में वार्षिकोत्सव समारोह, मुख्य अतिथि रहीं कलेक्टर रानू साहू ने साझा किया आइएएस बनने तक का संघर्ष।


0 कहा- आप जैसे गुरुजनों का आशीष ही था, जो आज ही के दिन मैंने यूपीएससी मेंस परीक्षा में सफलता हासिल की थी।


कोरबा 5 मार्च (वेदांत समाचार)। मेरे लिए मेरा गांव और परिवार सब कुछ था. मैं पीएमटी के लिए रायपुर जाना चाहती थी, पर बड़े मुझे गांव से बाहर नहीं जाने देना चाहते थे. झगड़ा किया, किसी तरह उन्हें मनाया, कि मुझ पर भरोसा रखें, मैं जरूर कुछ कर के दिखाउंगी. पीएमटी में सफल नहीं हुई, फिर बीएससी किया. पीएससी के बारे में पता चला तो प्रयास किया, सफल हुई और 21 साल की उम्र में मैंने डीएसपी की वर्दी हासिल की. मैं रुकी नहीं, यूपीएससी प्रयास किया और सफल हुई. मेरे गुरुजनों का प्रोत्साहन और बड़ों का आशीष ही था, जो छह मार्च का दिन था और मैं कोरबा में ही पदस्थ थी, मेंस का रिजल्ट आया और मैं पास हो गई. फिर इंटरव्यू हुआ और छह मई को फाइनल रिजल्ट आया, जिसमें मैं आइएएस के पद पर चुनी गई.

यह बातें कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी कोरबा श्रीमती रानू साहू ने बतौर मुख्य अतिथि मौजूदगी दर्ज कराते हुए कमला नेहरू महाविद्यालय के वार्षिकोत्सव समारोह में कहीं. सर्वप्रथम उन्होंने महाविद्यालय के गुरुजनों व कोरबा की धरती को नमन किया और कॅरियर के इस मुकाम तक पहुंचने जीवन में किए गए अपने संघर्ष के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि 13 दिसंबर 2007 में जीवन का पहला कदम, मेरी पहली नौकरी कोरबा से ही शुरू हुई. यहीं रहते हुए मुझे आईएएस का पद प्राप्त हुआ. ईश्वरतुल्य गुरुजनों का ही आशीर्वाद है, जो अपने ही छत्तीसगढ़ राज्य में इस पद की जिम्मेदारी निभाने का अवसर मिला. उन्होंने बताया कि अपनी 12वीं तक की शिक्षा गरियाबंद जिले के छोटे से गांव पांडुका से हासिल की. वहां के शिक्षकों का प्रोत्साहन मुझे यहां तक ले आया. जीवन के हर मोड़ पर अनेक मुश्किलें आएंगी, पर अपना आत्मविश्वास कायम रखना सफलता के लिए जरूरी है. खुद पर दृढ़ संकल्पित होकर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहें और उसे पाने पूरी निष्ठा से समर्पित होकर प्रयास करते रहें. उन्होंने स्वामी विवेकानंद की कही बातें दोहराते हुए विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि अपने आप को कमतर आंकना ही सबसे बड़ा पाप है. जब तक आपको खुद पर विश्वास नहीं रहेगा, आप दुनिया में कैसे साबित कर पाएंगे कि आप में भी कुछ कर गुजरने का जज्बा है. आपकी यह उम्र बहुत कुछ कर गुजरने की है, जो एक ही बार मिलती है. इसलिए जीवन की कठिनाइयों से घबराकर रुको मत, मंजिलों तक पहुंचने तक कदम-दर-कदम बढ़ते रहो. कार्यक्रम का शुभारंभ छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत अरपा पैरी से हुआ. इस बीच कलेक्टर श्रीमती साहू ने छात्र-छात्राओं की विज्ञान प्रदर्शनी का निरीक्षण किया और भव्य रूसा भवन और जिले की सबसे बड़ी कंप्यूटर प्रयोगशाला का भी अवलोकन किया. कार्यक्रम में उपस्थित मंचस्थ अतिथियों में कॉलेज की वरिष्ठ प्राध्यापक एवं हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीमती अर्चना सिंह, छात्र संघ प्रभारी एवं कंप्यूटर साइंस के एचओडी अनिल राठौर उपस्थित रहे. मंचीय कार्यक्रम का समापन राष्टÑगान से हुआ. इसके बाद महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने सुमधुर गीतों से रंगा-रंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी. रसायन विभाग की प्राध्यापक ज्योति दीवान ने कलेक्टर श्रीमती साहू का जीवन परिचय प्रस्तुत किया. मंच संचालन एनएसएस जिला संगठक एवं महाविद्यालय के इकोनॉमिक्स प्राध्यापक वायके तिवारी ने किया. आभार प्रदर्शन अंग्रेजी के प्राध्यापक बृजेश तिवारी ने किया.


डीएसपी पद खोने की नौबत थी पर हार नहीं मानी

श्रीमती साहू ने बताया कि कठिन पुलिस ट्रेनिंग करते हुए यूपीएससी प्री दिया. जब रिजल्ट आया, तीन कंप्यूटर सेंटर गई, दो सेंटर में कहा गया कि आपका रोल नंबर नहीं है. मैंने कहा ऐसा हो ही नहीं सकता. मुझे पूरा विश्वास था. तीसरे सेंटर ने कहा कि आपका रोल नंबर है. इसके बाद मैंने मेंस की तैयारी छुट्टी मांगी तो नहीं मिली. एक महीना मेंस परीक्षा बचा था, तब मैंने सगाई होने की बात कह दो दिन की छुट्टी मांगी. किसी तरह छुट्टी मिली, तो मैं दिल्ली चली गई.परीक्षा को 15 दिन बचे थे, मुझे कॉल आया कि अगर आप वापस नहीं आई, तो आपको बर्खास्त कर देंगे. आपकी फाइल कैबिनेट में चली गई है, मैंने कहा जो होगा देखा जाएगा, मुझे अपने आप में विश्वास है और मैंने मेंस में सफलता हासिल की.


हम क्षेत्र में उच्च शिक्षा के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं

कमला नेहरू महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रशांत बोपापुरकर स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कोरबा में उच्च शिक्षा के विकास के लिए कला संकाय के साथ वर्ष 1971 में महाविद्यालय की स्थापित की गई. इस वर्ष महाविद्यालय अपना स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहा है और वर्तमान में यहां बीए, बीकॉम, बीएससी समेत नौ विषयों में स्रातक-स्रातकोत्तर, पीजीडीबीएम, पीजीडीसीए, बीबीए, बीएड, बीसीए व बीलिब की कक्षाएं संचालित हो रही हैं. छत्तीसगढ़ शासन से नए विषयों में इस सत्र से मास्टर आॅफ लाइब्रेरी साइंस की भी मान्यता मिली व पीजीडीसीए में सीट वृद्धि हुई है. उन्होंने बताया कि महाविद्यालय को नैक से दो बार मूल्यांकित हो चुका है और तब हमें सेकेंड सर्किल में 2.55 सीजीपीए के साथ बी-ग्रेड प्राप्त हुआ है. वर्तमान में तीसरा मूल्यांकन किया जाना है, जिसमें ए-प्लस की श्रेणी में लाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा.

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