जिस ट्रेन पर सवार थे रेलमंत्री उसी ट्रैक पर तेजी से आई दूसरी ट्रेन, देखें वीडियो…

नई दिल्ली । भारत के रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव शुक्रवार को जिस ट्रेन पर सवार होकर रेलवे की नई तकनीक का जायजा ले रहे थी, उस ट्रेन के सामने तेज रफ़्तार एक दूसरी ट्रेन आ गई। लेकिन ‘कवच’ की वजह से दोनों इंजन आपस में नहीं टकराए। आखिर इस कवच ने एक हादसे को बचा लिया। इसी तरह यह कवच अब हर संभावित दुर्घटनाओं को टालने में मदद करेगा।

असल में, कवच भारतीय रेलवे की तरफ से विकसित एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है। इसने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण परीक्षण पास किया। शून्य दुर्घटनाओं के लक्ष्य के साथ निर्मित कवच का सिकंदराबाद में लाइव परीक्षण किया गया था, जिसमें केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ ट्रेन के चालक और परीक्षण के लिए मौजूद अन्य अधिकारी शामिल थे। एक मिनट का वीडियो टक्कर रोधी प्रणाली का सफल परीक्षण दिखाता है। क्लिप की शुरुआत केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ होती है, जिसमें बताया गया है कि जिस ट्रेन में वह सवार हैं, वह उसी ट्रैक पर है जिस पर विपरीत दिशा से आ रही ट्रेन है। जब ट्रेन स्टॉप सिग्नल को बायपास करने का प्रयास करती है, तो वह रुक जाती है और वैष्णव कहते हैं कि कवच प्रणाली इंजनों को आगे नहीं बढ़ने देती।

यह सिस्‍टम तब शुरू होता है जब कोई सिग्नल खतरे में पड़ जाता है या जब कोई ट्रेन स्टॉप-सिग्नल से गुजरती है जब ऐसा करने की अनुमति नहीं होती है। लोको पायलट के विफल होने की स्थिति में कवच स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है। इसके अलावा, कवच ने रियर-एंड कोलिजन टेस्टिंग, ऑटो व्हिसल टेस्ट के साथ-साथ लूप-लाइन क्रॉसिंग टेस्ट भी पास किया।

रेलवे ने कहा यह हाई फ्रीक्‍वेंसी रेडियो संचार का उपयोग करके मूवमेंट की थ्‍योरी पर काम करता है। यह एसआईएल -4 के अनुरूप है जो सुरक्षा प्रमाणन का उच्चतम स्तर है। ट्रैक की पहचान, ट्रेनों के स्थान और ट्रेन की दिशा की पहचान के लिए प्रत्येक ट्रैक और सिग्नल के लिए ट्रैक और स्टेशन यार्ड पर ट्रैक पर आरएफआईडी टैग प्रदान किए जाते हैं।

2022 के केंद्रीय बजट में आत्‍म निर्भर भारत अभियान के भाग के रूप में घोषित, 2022-23 में सुरक्षा और क्षमता वृद्धि के लिए स्वदेश निर्मित कवच के तहत 2,000 किमी रेल नेटवर्क को लाने की योजना है। अब तक दक्षिण मध्य रेलवे की चल रही परियोजनाओं में कवच को 1098 से अधिक रूट किमी और 65 लोको पर तैनात किया गया है और 160 किमी प्रति घंटे तक की गति के लिए स्वीकृत किया गया है। इसके अलावा कवच को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा कॉरिडोर पर लागू करने की योजना है, मिशन रफ्तार परियोजना के एक हिस्से के रूप में गति को 160 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने के लिए भी काम किया जाएगा।