सीएम बघेल ने भारतीयों के यूक्रेन में फंस जाने को बताया सरकार की कूटनीतिक चूक, बचाव अभियान को भी बताया अपर्याप्त

रायपुर। युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंस गए भारतीयों की वजह से पैदा हुए संकट पर देश में राजनीति शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे भारत सरकार की राजनयिक और कूटनीतिक चूक बताया है। मुख्यमंत्री बघेल ने भारतीय नागरिकों और विद्यार्थियों को यूक्रेन से निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव अभियान को भी अपर्याप्त बताया है।

रायपुर हवाई अड्‌डे पर प्रेस से बात करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, पहली बात यह कि ये सीधे-सीधे इंटेलिजेंस फेलियर है। दूसरी बात यह कि आपने अभी-अभी एयर इंडिया बेचा। यूक्रेन में एयर इंडिया की फ्लाइट जाती रही है। तनावपूर्ण स्थिति के दौरान उसने भारत आने का किराया 24 हजार से बढ़ाकर 60 हजार से 78 हजार तक पहुंचा दिया था। उसमें भी वेटिंग चल रहा था। यदि उस समय भी इस रेट को कंट्रोल करते तो बच्चे आ गए होते। वहां मध्यम वर्ग के लोग ही गए हैं। यहां मेडिकल कॉलेज में पढ़ाना बहुत महंगा है। वहां सस्ता पड़ता है इसलिए वहां गए। अब टिकट सस्ता होता अथवा टिकट की सामान्य कीमत बनी रहती तो अधिकांश बच्चे वापस आ जाते। ऐसा हुआ नहीं। बच्चों के निकालने में देरी की वजह से जुड़े सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साफ शब्दों में कहा, यह राजनयिक और कूटनीतिक चूक है।

बॉर्डर वाले इलाके से तो बच्चे आ गए, कीव-खारकीव में कोई व्यवस्था नहीं

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, अब हंगरी बॉर्डर से हमारे छह बच्चे तो आ गए। लेकिन जो खारकीव और कीव में फंसे हैं, वहां लगातार बमबारी हो रही है। वहां से हमारे छात्र-छात्राएं निकल नहीं पा रहे हैं। भारत सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हो रही है और तो और उनके भोजन की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। यदि वहां ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था हो जाए क्योंकि ट्रेन और हवाई जहाज तो है ही नहीं। 800 से 1100 किमी दूर बॉर्डर है। वहां बसों की भी व्यवस्था कर दी जाए तो बच्चे बॉर्डर तक पहुंच जाते। वहां से पड़ोसी देशों के जरिए उनको एयरलिफ्ट कर लिया जाता।

उड़ान के फेरे भी नहीं बढ़ा रहे हैं

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, अभी भारत सरकार वहां एक ही फ्लाइट भेज रही है। उसमें एक बार में 240 बच्चे ही आ सकते हैं। यदि फ्लाइट के फेरे बढ़ा देते तो भी तेजी से बच्चों को वापस ला पाते। उन्होंने कहा, भारत सरकार से हमने भी अपील की है। इस अपील पर कितना अमल होता है यह देखने की बात है।

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