रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुई जंग (Russia-Ukraine Crisis) का ग्लोबल मार्केट पर बहुत असर हुआ है. कोरोना के कारण ग्लोबल इकोनॉमी पहले से क्राइसिस (Global economic crisis) में है. उसके बाद बढ़ती महंगाई की समस्या (Inflation) विकराल हो रही थी. इस बीच यूक्रेन पर रूस के हमले ने इकोनॉमी को झकझोड़ दिया है. जापानी फाइनेंशियल कंपनी नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यूक्रेन क्राइसिस से महंगाई का दबाव बढ़ेगा और एशिया में सबसे ज्यादा भारत को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि फूड और ऑयल प्राइस (Crude Oil Price) बढ़ने से एशियाई देशों पर प्रतिकूल असर होगा. इन देशों की फिस्कल कंडीशन मजबूत नहीं है. भारत ने चालू वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य बढ़ाकर जीडीपी का 6.9 फीसदी कर दिया है. अगले वित्त वर्ष के लिए यह अनुमान 6.4 फीसदी रखा गया है.
नोमुरा ने कहा कि एशिया में भारत, थाइलैंड और फिलिपीन्स की अर्थव्यवस्था पर इसका सबसे बुरा असर होगा. भारत कच्चा तेल का बहुत ज्यादा आयात करता है. ऐसे में कीमत बढ़ने से ट्रेड डेफिसिट बढ़ेगा. नोमुरा का अनुमान है कि कच्चे तेल में 10 फीसदी के उछाल से जीडीपी ग्रोथ रेट में 0.20 प्वाइंट्स की गिरावट आएगी. माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया महंगाई को कंट्रोल करने के लिए बहुत जल्द कड़े रुख अख्तियार कर सकता है. रिजर्व बैंक का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 में औसत महंगाई 4.5 फीसदी रहेगी.
जून से रेपो रेट बढ़ा सकता है RBI
नोमुरा का कहना है कि रिजर्व बैंक जून से रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकता है. उसका अनुमान है कि रिजर्व बैंक इस साल रेपो रेट में 1 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है.
कच्चा तेल महंगा होने से कितना असर पड़ता है?
क्वांट इको रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कच्चे तेल में 10 डॉलर प्रति बैरल का उछाल आता है तो भारत की जीडीपी विकास दर में 10 बेसिस प्वाइंट्स की कमी होगी. चालू वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 9.2 फीसदी रखा गया है. बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ ईकोनॉमिस्ट मदन सबनिवास का कहना है कि अगर कच्चे तेल में हमेशा के लिए 10 फीसदी का उछाल रहता है तो थोक महंगाई दर यानी WPI में 1.2 फीसदी की तेजी और खुदरा महंगाई यानी CPI में 0.30-0.40 फीसदी की तेजी आएगी.
इकोनॉमी पर असर के आकलन में जुटी सरकार
इधर सरकार भी यूक्रेन के खिलाफ रूस के सैन्य अभियान से घरेलू अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करने में जुट गई है. सरकारी अधिकारियों ने तेल की कीमतों में वृद्धि और देश के बाहरी व्यापार के प्रभावित होने के कारण मुद्रास्फीति में संभावित वृद्धि से निपटने के लिए पहले से योजनाओं को तैयार करना शुरू कर दिया है. वही आपूर्ति बाधित होने या व्यापार मार्गों के अवरुद्ध होने की फिलहाल कोई आशंका नहीं दिख रही है. लेकिन कच्चे तेल की कीमतें सात साल के उच्चस्तर यानी 105 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई हैं. इसका अर्थव्यवस्था पर लघु और मध्यम अवधि में असर पड़ेगा.
चुनाव बाद मार्च में 10 रुपए महंगा हो सकता है पेट्रोल
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव के मद्देनजर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रोजाना होने वाले बदलाव और रसोई गैस एलपीजी दर में मासिक बदलाव रोक दिया गया था. पिछले तीन महीने से ईंधन के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से लागत और बिक्री मूल्य के बीच अंतर बढ़ गया है. उद्योग के सूत्रों ने कहा कि यह अंतर 10 रुपए प्रति लीटर से अधिक है, जो अगले महीने चुनाव पूरा होने के बाद बढ़ाया जा सकता है.
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सरकार तेजी से सामने आ रही स्थिति के आर्थिक प्रभाव का आकलन करने में जुट गई है. अधिकारी ने बताया कि विभिन्न मंत्रालयों से अंदरुनी जानकारी जुटाई जा रही हैं. रूस पर अमेरिका और यूरोपीय देशों के प्रतिबंधों का विदेशी व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसकी भी समीक्षा की जा रही है. सरकार कच्चे तेल की कीमतों में तेजी पर भी नजर बनाये हुए है. उल्लेखनीय है कि भारत विश्व में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है. भारत को अपनी जरूरत का 85 फीसदी आयात के जरिये पूरा करना पड़ता है.
रूस और यूक्रेन के साथ करीब 18 अरब का व्यापार
निर्यातकों के संघ फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) ने कहा कि यूक्रेन-रूस के बीच सैन्य संकट से माल की आवाजाही, भुगतान और तेल की कीमतें प्रभावित होंगी और फलस्वरूप इसका असर देश के व्यापार पर भी पड़ेगा. भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार इस वित्त वर्ष में अब तक 9.4 अरब डॉलर का रहा. इससे पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में यह 8.1 अरब डॉलर का था.
रूस से भारत इन चीजों का आयात करता है
भारत मुख्य तौर पर रूस से ईंधन, खनिज तेल, मोती, कीमती या अर्ध-कीमती पत्थर, परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी और यांत्रिक उपकरणों का आयात करता है. वहीं रूस को दवा उत्पाद, बिजली मशीनरी और उपकरण, जैविक रसायन और वाहनों का निर्यात किया जाता है.
[metaslider id="347522"]