झूठा आरोप लगाने पर आयोग ने महिला को लगाई फटकार…

रायपुर 23 फरवरी (वेदांत समाचार)। महिलाओं की समस्या तथा उनके दर्द को दूर करने राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक तत्पर रहती हैं। लेकिन अगर कोई महिला अपने अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए किसी पर झूठा आरोप लगाए, तो डॉ. नायक उसे कड़ी फटकार लगाने से गुरेज नहीं करतीं। दरअसल बुधवार की सुनवाई में ऐसा ही एक मामला सामने आया, जहां एक महिला ने व्यक्ति पर इसलिए झूठा आरोप लगाया ताकि उसे उधारी के पैसे उस व्यक्ति को वापस न करने पड़ें।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक तथा सदस्य डॉ अनिता रावटे की उपस्थिति में आज राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई हुई। आज प्रस्तुत प्रकरण में अनावेदक ने बताया कि आवेदिका लिखित इकरारनामा के माध्यम से व्यक्तिगत 50 हजार रुपये लिया है और वापस न करना पड़े इसलिए झूठी शिकायत आयोग में की थी। आवेदिका से पूछताछ करने पर उसने स्वीकार किया कि उसने 50 हजार रूपये लिया है और वह एक माह के अंदर आयोग के समक्ष रुपये वापस देना स्वीकार किया है। आवेदिका का कथन है कि अनावेदक ने उसे डांट लगाई थी इसलिए उनके खिलाफ आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। महिला आयोग में महिलाओं की रक्षा का अर्थ कतई यह नही है कि महिला अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर पुरुषों के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराए आवेदिका को आयोग के समझाइश दिए जाने पर आवेदिका ने आयोग के समक्ष अनावेदक से माफी मांगी और अगली सुनवाई में रुपये वापस करने की सहमति भी दी है।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपने पहले पति से तलाक और गुजारा भत्ता के साथ दोनो बच्चों की मांग की। अनावेदक और आवेदिका ने दूसरा विवाह कर लिया है। अब बच्चों पर दावा कर रहे है, यह स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। आयोग के अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि बिना तलाक लिए दोनो पक्ष शादी कर दोषी साबित हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में प्रकरण का निराकरण किया जाना उचित नहीं होगा क्योंकि दोनों की स्थिति वैधानिक नही है। इस पूरे प्रकरण में दोनो मासूम बच्चे दुर्भाग्यजनक स्थिति पर है। माता-पिता के रहते हुए दोनो बच्चे अनाथ हो गये है, चूंकि प्रकरण में नाबालिग बच्चे का हैं। इस कारण आयोग ने इस प्रकरण को तत्काल बाल संरक्षण आयोग के तत्कालीन सहायक संचालक वर्तमान में जिला कार्यक्रम अधिकारी रायपुर से दूरभाष पर चर्चा कर दोनो पक्षो को बाल संरक्षण आयोग से कार्यवाही करने की बात कही गई। जिस पर इस प्रकरण की सम्पूर्ण फाइल और दोनो पक्षो को नाबालिग बच्चो के साथ बाल संरक्षण आयोग भेजा गया।

एक अन्य प्रकरण में अनावेदक आयोग के पिछली 3 सुनवाई में अनुपस्थित रहा। आज की सुनवाई में अनावेदक को थाना भाटापारा के माध्यम से उपस्थित किया गया। आवेदिका ने बताया कि उनका अनावेदक से वर्ष 2016 से प्रेम संबंध रहा हैं। इन संबंधों की आड़ में अनावेदक आवेदिका का आर्थिक शोषण करता रहा। अक्टूबर 2019 में आर्य समाज मे शादी करने के बाद अपने अपने घर वालो को बाद में बताएंगे कहकर आवेदिका का आर्थिक और शारीरिक शोषण भी करता रहा। आवेदिका को अलग अलग तरीके से डरा धमकाकर 4 लाख रुपये ले चुका है। आवेदिका को पत्नी के रूप में रखने और जिम्मेदारी से बचने के लिए लगातार मानसिक शोषण भी कर रहा है। अनावेदक के पिता भी अनावेदक के इस कृत्य में बराबर के सहभागी है। अनावेदक लगातार आवेदिका के पैसे देने से इंकार कर रहा है और उसने स्वीकार किया कि आवेदिका से 4 लाख रुपये लिए है। इस गम्भीर प्रकरण पर आयोग ने आवेदिका को स्थानीय पुलिस थाना में जाकर अनावेदक और उनके परिवार वालो के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण की एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश के साथ प्रकरण को नस्तीबद्ध किया।

इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक के विरुद्ध शारीरिक और आर्थिक शोषण के साथ-साथ दहेज मांग करने संबंधी शिकायत की थी। अनावेदक इंडियन ऑयल में मैनेजर के पद पर कार्यरत है और 1 लाख 50 हजार रुपये मासिक वेतन है। आवेदिका डेढ़ साल से अलग है उसने बताया कि बच्चे की डिलिवरी के लिये मायके भेजे थे उसके बाद से लेने नही आ रहा है। उसने यह भी बताया कि अनावेदक ने उनके पिता से 45 लाख रुपये पेट्रोल पंप दिलाने के लिए लिया था। वह राशि भी अब तक वापस नही किया है और भरण पोषण राशि नही दे रहा है। आयोग के द्वारा समझाइश दिए जाने पर दोनों ने समय की मांग की।

एक अन्य प्रकरण में पति-पत्नी के मध्य आपसी सहमति से विवाह विच्छेद के लिए आयोग में समक्ष तैयार हुए। बच्ची के संरक्षण के विषय मे पति के द्वारा पत्नी के साथ रहने की सहमति दिया। पति भविष्य में बच्ची से बात भी कर सकेगा। आयोग ने दोनों पक्षों को अधिवक्ता के सहयोग अपनी सहमति पत्र बनाकर आयोग कार्यालय में जमा करने कहा गया। आयोग के अध्यक्ष ने पति-पत्नी को एक वर्ष से अलग रहने का आपसी राजीनामा बनाकर न्यायालय में प्रस्तुत करने के साथ ही इस प्रकरण को निगरानी में रखने का निर्देंश दिया।

आज जनसुनवाई में 25 प्रकरण में 22 पक्षकार उपस्थित हुए तथा 2 प्रकरणों को निगरानी में रखते हुए, 8 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया शेष अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया।

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