वोटर बड़़ा धोखेबाज निकला

(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
सरिता भदौरिया जी गलत नहीं कहती हैं। ये वोटर नाम का प्राणी होता ही धोखेबाज है। बताइए! पांच साल बेचारी विधायक जी ने इस पब्लिक के लिए क्या–क्या नहीं किया। राशन दिया। तेल तक दिया। आवास दिलाया। पैसा दिलाया। और तो और कोविड के टीके से लेकर सड़क और खरंजे तक सब कुछ दिलाया। पब्लिक ने भी तब तो लपक–लपक कर लिया। पर अब जब चुनाव के लिए बेचारी वोट मांगने जा रही हैं‚ तो ये इटाए वाले उनकी नमस्ते तक नहीं ले रहे हैं। और इटाए वाले ही क्यों वोटर बनते ही सारे यूपी वाले ऐसे ही तेवर दिखा रहे हैं। राशन‚ तेल‚ पैसा सब खाकर अब बेचारे भगवाइयों को अंगूठा दिखा रहे हैं। देख लेना‚ कीड़े पड़ेंगे ऐसे धोखेबाजों को!

यह सरिता जी की सरलता ही है कि ऐसी धोखेबाजी के बाद भी वोटरों को सिर्फ उनकी बेईमानी पर शर्मिंदा कर के छोड़ दिया। ऐसी ही नीयत थी तो हमारा राशन‚ तेल भी नहीं लेते‚ वगैरह! वर्ना उनकी पार्टी तो ‘शठे शाठयम् समाचरेत’ में विश्वास करने वाली है। उनकी ही पार्टी के विधायक‚ राजो सिंह तो दूर हैदराबाद से ही वोटरों को बाबा के बुल्डोजर–प्रेम की और थोक में बुल्डोजर खरीदने की‚ याद दिला रहे हैं। जो अपने घर–दूकान से करता हो प्यार‚ भगवाइयों की नमस्ते लेने से कैसे करेगा इनकार! और यह हैदराबादी भाई के सुरक्षित दूरी से रास्ता दिखाने का ही मामला नहीं है। खुद यूपी में कोई भगवाई‚ नमस्ते नहीं लेने और वोट नहीं देने वालों को देहरी पर लाकर पीटने की सलाह दे रहा है‚ तो कोई घर में घुसकर मारने का भरोसा दिला रहा है। और यह तो तब है जबकि थार वाले टेनी भैया की तो अभी चुनाव मैदान में एंट्री भी नहीं हुई है। जिस दिन भैया आएंगे‚ सारी अकड़ भूलकर भगवाई नमस्ते लेने वोटर खुद लाइनों में लग जाएंगे। फिर भी दगेबाज वोटर का भरोसा नहीं कर सकते। मंदिर भी ले लेगा‚ हिंदू–मुस्लिम भी करवा लेगा‚ फिर भी रोटी–रोजगार की मांग खड़ी की खड़ी ही रहेगी। कर्त्तव्य‚ राष्ट्रवाद सब भूलकर कभी भी रोटी–रोटी करने लग जाएगा। डबल इंजन वालो अब तो ब्रेख्त का फार्मूला अपना लो‚ अपना भरोसा खो चुकी इस पब्लिक को भंगकर‚ दूसरी पब्लिक चुनवा लो! इस वोटर के ही भरोसे रह गए‚ तब तो इस बार न जाने क्या होॽ

व्यंग्यकार स्वतंत्र पत्रकार और ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।