तीन सालों में आदिवासी बच्चों की मौत पर भाजपा और कांग्रेस में सियासत गर्म

रायपुर 17 फ़रवरी (वेदांत समाचार)।  छत्तीसगढ़ में पिछले तीन सालों में 25 हजार 164 आदिवासी बच्चों की मौत पर सियासत शुरू हो गई है। राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम ने भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में पत्रकारवार्ता लेकर सरकार से जान गंवाने वाले बच्चों के स्वजन को मुआवजा देने की मांग की है।

नेताम ने कहा कि अधिकांश बच्चों की मौत निमोनिया, खसरा, डायरिया जैसी बीमारियों से हुई है। इस दौरान प्रदेश में 955 महिलाओं ने प्रसव के दौरान दम तोड़ दिया है। नेताम ने कहा कि इस गंभीर मुद्दे पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया है।

आपसी खींचतान का खामियाजा झेल रहा स्वास्थ्य विभाग- नेताम

नेताम ने आरोप लगाया कि ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर मुख्यमंत्री बने भूपेश बघेल को सत्ता स्वास्थ्य मंत्री को ट्रांसफर करना था। इसके लिए खींचतान के कारण स्वास्थ्य विभाग को खामियाजा भुगतना पड़ा। हालत इतने खराब हो गए थे कि स्वास्थ्य विभाग की बैठक में ही स्वास्थ्य मंत्री को नहीं बुलाया जाता था। कोरोना की विभीषिका के बीच मंत्री सिंहदेव मुंबई में जाकर बैठ गए थे।

कहा, सरकार की कुनीतियों और नेतृत्वहीनता के चलते प्रदेश के लोग बेहतर इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। नेताम ने कोरबा के सतरेंगा में पहाड़ी कोरवा सुखसिंह की पत्नी सोनी बाई और सरगुजा में विशेष संरक्षित पंडो जनजाति के सैकड़ों लोगों की रहस्यमय मौत को लेकर सरकार को घेरा है।

मौत के जारी किए गए आंकड़े सही नहीं : चौबे

सरकार के प्रवक्ता और मंत्री रविंद्र चौबे ने रामविचार नेताम के आरोपों पर पलटवार किया है। चौबे ने कहा कि नेताम को अगर सुझाव देना है, तो सुझाव दें। यह आंकड़े सही नहीं हो सकते। इन आकड़ों का स्रोत भाजपा है। चौबे ने कहा कि आरोप लगाने के लिए कोई आरोप लगाएंगे तो यह सही नहीं है। आदिवासी महिलाओं और बच्चों की मौत के आंकड़े केंद्र सरकार ने जारी किए हैं, जो पूरी तरह गलत है। बीमारी से मौत के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। भाजपा मौत पर सियासत करना चाहती है।

तथ्यहीन आंकड़े पेश कर रही भाजपा: मरकाम

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम झूठ बोलकर राजनीति कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में कुपोषण से किसी की मौत नहीं हुई है। यह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सदन में स्वीकार किया है। 2015-16 की अपेक्षा नवजात एवं शिशु मृत्युदर में क्रमश: 23 व 18 प्रतिशत की कमी आई है।

रमन सरकार के दौरान राज्य के 37.71 प्रतिशत बच्चे कुपोषित और 41 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं। अधिनायकवादी मोदी सरकार में अपनी उपेक्षा के शिकार रामविचार नेताम मनगढंत आंकड़े प्रस्तुत करके छत्तीसगढ़ में कुपोषण और बाल मृत्यु दर के संदर्भ में तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं।